सलीम बेताब के शेर
मैं ने तो यूँही राख में फेरी थीं उँगलियाँ
देखा जो ग़ौर से तिरी तस्वीर बन गई
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सरमा की रात रेल का डिब्बा उदासियाँ
लम्बा सफ़र है और तिरा साथ भी नहीं
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'बेताब' लड़कियों की जसारत तो देखिए
ख़ुद को शुमार करती हैं सब अप्सराओं में
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उस मुल्क में भी लोग क़यामत के हैं मुंकिर
जिस मुल्क के हर शहर में इक हश्र बपा है
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