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भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

शाहिद मीर के शेर

पहले तो छीन ली मिरी आँखों की रौशनी

फिर आईने के सामने लाया गया मुझे

शजर ने लहलहा कर और हवा ने चूम कर मुझ को

तिरी आमद के अफ़्साने सुनाए झूम कर मुझ को

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन

मेरी चादर मिरे पैरों के बराबर कर दे

गँवाए बैठे हैं आँखों की रौशनी 'शाहिद'

जहाँ-पनाह का इंसाफ़ देखने वाले

तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने

किसी दिन मिरे एहसास को पैकर कर दे

बुझती हुई सी एक शबीह ज़ेहन में लिए

मिटती हुई सितारों की सफ़ देखते रहे

वही सफ़्फ़ाक हवाओं का सदफ़ बनते हैं

जिन दरख़्तों का निकलता हवा क़द होता है

ख़ौफ़ से अब यूँ अपने घर का दरवाज़ा लगा

तेज़ हैं कितनी हवाएँ इस का अंदाज़ा लगा

रोने से और लुत्फ़ वफ़ाओं का बढ़ गया

सब ज़ाइक़ा फलों में नए पानियों का है

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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