aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "حظ"
फ़हीम जोगापुरी
शायर
सय्यदा अरशिया हक़
born.1990
फ़ज़ले हक़ खैराबादी
1797 - 1861
लेखक
फ़ज़ल हक़ अज़ीमाबादी
1934 - 2006
चाैधरी अफ़ज़ल हक़
born.1942
मोहम्मद हिफ़ज़ुर्रहमान सिवहारवी
हक़ नवाज़ अख़्तर
कामिल क़ुरैशी
born.1935
अफ़ज़ल हक़ कुरैशी
संपादक
फ़ज़ल-ए-हक़ क़ुरैशी
अल्लामा हक़ बनारसी
सय्यद ऐनैन अली हक़
born.1986
नूरैन अली हक़
हिफ़ज़ुल्लाह क़ादरी
1825 - 1860
हिफ़ज़ुर्रहमान
बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ मेंआबले पड़ गए ज़बान में क्या
मैं और हज़्ज़-ए-वस्ल ख़ुदा-साज़ बात हैजाँ नज़्र देनी भूल गया इज़्तिराब में
فیاض حق شناس اولو العزم ذی شعورخوش فکر و بزلہ سنج و ہنر پرور و غیور
बचपन और लड़कपन में मैंने जो कुछ चाहा, वो पूरा न होने दिया गया, यूं कहो कि मेरी ख़्वाहिशात कुछ इस तरह पूरी की गईं कि उनकी तकमील मेरे आँसूओं और मेरी हिचकियों से लिपटी हुई थी। मैं शुरू ही से जल्दबाज़ और ज़ूद रंज रहा हूँ। अगर मेरा जी...
بتوں کو خدائی سے باہر کیاکیا حق نے نبیوں کا سردار اسے
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
कर्बला की घटनाओं और इमाम हुसैन की शहादत के बारे में उर्दू में बहुत कुछ लिखा गया है। कभी इतिहास के रूप में, कभी शोक और मर्सिया के रूप में, कभी कल्पना और कहानी के रूप में, अर्थात् असत्य पर सत्य की जीत की इस कहानी ने उर्दू साहित्य के क्षितिज को व्यापक बनाया है। ऐसी सभी पुस्तकें रेख़्ता के "वाकियाता-ऐ-कर्बला" संग्रह में मौजूद हैं।अवश्य पढ़ें।
महात्मा गांधी ऐसा नाम है जिसने कवियों और लेखकों पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। भारत के राष्ट्रपिता जिन्हें हम प्यार से बापू कहते हैं, भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन और अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों की बदौलत उर्दू कवियों पर भी गहरा असर छोड़ने में सफ़ल रहे हैं। महात्मा गांधी के सिद्धांतों और उनके उपदेशों का प्रवाह उर्दू शायरी में किस प्रकार है इसका अंदाज़ा आप नीचे दी गई कविताओं से लगा सकते हैं।
हज़حظ
enjoyment
आनंद, मज़ा, सुख, राहत, हर्ष, | खुशी, भाग, हिस्सा ।
Apna Gareban Chaak
जावेद इक़बाल
आत्मकथा
हक़ इलिया
मोहसिन नक़वी
काव्य संग्रह
Ajaibaat-e-Farang
यूसुफ़ खां कम्बल पोश
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Zindagi
भाषा एवं साहित्य
अख़्लाक़ और फ़ल्सफ़ा-ए-अख़्लाक़
शिक्षाप्रद
Talash-e-Haq
महात्मा गाँधी
Risala-e-Haq Numa
दारा शुकोह
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
Classici Unan
हबीब हक़
सांस्कृतिक इतिहास
बाग़ी हिंदुस्तान
भारत का इतिहास
Hamari Paheliya
सय्यद यूसुफ़ बुख़ारी
पहेली
Urdu Adab beeswin Sadi Mein
हक़ नवाज़
शोध
Kulliyat-e-Akhtar Sheerani
अख़्तर शीरानी
कुल्लियात
Baghi Hindustan
Jinsi Uljhanen Aur Unka Hal
नूर मोहम्मद चौहान
काम शास्त्र
तुम उठाओगे कोई रंज मिरादोस्त अहबाब हज़ उठाएँगे
लीला कुछ न बोली। शौहर की ये बे-ए’तिनाई उसके लिए कोई नई बात न थी। इधर कई दिन से इस का दिल-दोज़ तजुर्बा हो रहा था कि इस घर में उसकी क़दर नहीं है, अगर उसकी जवानी ढल चुकी थी तो उसका क्या क़सूर था किस की जवानी हमेशा रहती...
जान-ए-ग़ालिब, बैन-उल-अक़वामी सुलह के तालिब,...
احساس کا کام کسی چیز کا ادراک کرنا، یا کسی مسئلہ کا حل کرنا، یا کسی بات پر غور کرنا اور سوچنا نہیں ہے، اس کا کام صرف یہ ہے کہ جب کوئی مؤثر واقعہ پیش آتا ہے تو وہ متاثر ہو جاتا ہے، غم کی حالت میں صدمہ ہوتا...
मेरा वो आईना जिसको मैंने यक़ीनन किसी बहुत महफ़ूज़ जगह बड़ी एहतियात से छिपा दिया था कि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत पर काम आए, अनथक तलाश और जुस्तजू के बाद भी हाथ नहीं लगता है लेकिन निगार का वो जूता जिसके मुताल्लिक़ यक़ीन-ए-कामिल था कि दो महीने हुए खो चुका...
“कुंवारी रहने में क्या हर्ज है।” शाहिदा मुस्कुराई, “मैं भी यही कहा करती थी... लेकिन जब शादी हो गई तो दुनिया की तमाम लज़्ज़तें मुझ पर आश्कारा हो गईं। यही तो उम्र है जब आदमी पूरी तरह शादी की लताफ़तों से हज़ अंदोज़ हो सकता है... तुम मेरा कहा मानो......
ज़ाहिद मुस्कुराया, “लेकिन मेरे पास पैसे कहाँ हैं?” ज़ाहिद की बीवी भी मुस्कुराई, “मेरा पर्स अलमारी में पड़ा है, उसमें जितने रुपये आपको चाहिऐं, निकाल लीजिए।”...
یہ بات روز بروز روشن ہوتی جاتی ہے کہ گورنمنٹ کا فرض بہ نسبت مثبت اور معمل ہونے کے زیادہ تر منفی اور مانع ہے اور وہ فرض جان اور مال اور آزادی کی حفاظت ہے۔ جب کہ قانون کا عمل در آمد دانشمندی سے ہوتا ہے تو آدمی اپنی...
वैश्या अपने उस गाहक के रू-ब-रू जो उससे मुहब्बत का तालिब है, अपने चेहरे पर मस्नूई मुहब्बत के जज़्बात पैदा करेगी। ये चीज़ गाहक को ख़ुश कर देगी, मगर ये औरत अपने सीने की गहराइयों में से हर मर्द के लिए जो शराब पी कर उसके कोठे पर झूमने लगता...
दिन भर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं, ताश खेल रहे हैं, जुगार हो रही है (माफ़ कीजिएगा जुगार का मतलब है जुवा यानी क़िमारबाज़ी) गालियां बक रहे हैं और फोगट या’नी मुफ़्त की रोटियां तोड़ रहे हैं, ऐसे लोग भला पाकिस्तान को मज़बूत बनाने में क्या मदद दे सकते...
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