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शेर
अल्लाह अल्लाह ये हंगामा-ए-पैकार-ए-हयात
अब वो आवाज़ भी देते हैं तो सुनते नहीं हम
सय्यद नवाब अफ़सर लखनवी
ग़ज़ल
शौक़ बहराइची
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ग़ज़ल
'क़ुदसी' तो अकेला नहीं मैदान-ए-सुख़न में
हर कूचा-ओ-बाज़ार में फ़न-कार बहुत हैं
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
जोश था हंगामा था महफ़िल में तेरी क्या न था
इक फ़क़त आदाब-ए-महफ़िल की निगह-दारी न थी
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
क्या कह गई है बाग़ से बाद-ए-ख़िज़ाँ न पूछ
हंगामा-ए-कशाकश-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ न पूछ
शायद कि हो रहा है फिर इक इम्तिहाँ न पूछ
इनाम थानवी
ग़ज़ल
दिल में शर्मिंदा हैं एहसास-ए-ख़ता रखते हैं
हम गुनहगार हैं पर ख़ौफ़-ए-ख़ुदा रखते हैं