आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "हसरत-ए-दिल"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "हसरत-ए-दिल"
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-हसरत-ए-दिल ज़ुल्म भी ढाना नहीं आता
वो क्या तस्कीन देंगे जिन को तड़पाना नहीं आता
रशीद शाहजहाँपुरी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "हसरत-ए-दिल"
अन्य परिणाम "हसरत-ए-दिल"
शेर
हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी
जोड़ दे माज़ी के सब औराक़ मुस्तक़बिल के साथ
फ़िगार उन्नावी
शेर
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
बोसे ले लेते हैं हम दो-चार हँसते बोलते
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
ग़ज़ल
जुदा करेंगे न हम दिल से हसरत-ए-दिल को
अज़ीज़ क्यूँ न रखें ज़िंदगी के हासिल को
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
शेर
ऐ हसरत-ए-दिल गो वस्ल हुआ पर शौक़ हमारा कम न हुआ
जिस से कि ख़लिश कुछ और बढ़े वो ज़ख़्म हुआ मरहम न हुआ
सुहैल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
उमीद-ए-मेहर पर इक हसरत-ए-दिल हम भी रखते थे
तमन्ना वस्ल की ऐ माह-ए-कामिल हम भी रखते थे