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ग़ज़ल
ये बेचैनी हमेशा से मिरी फ़ितरत है लेकिन
ब-क़द्र-ए-उम्र इस में कुछ इज़ाफ़ा हो गया है
इरफ़ान सत्तार
शेर
जमील मज़हरी
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ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-हसरत-ए-दिल ज़ुल्म भी ढाना नहीं आता
वो क्या तस्कीन देंगे जिन को तड़पाना नहीं आता
रशीद शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-ज़ौक़-ए-सुजूद आस्ताँ नहीं मिलता
ज़मीं मिले तो मिले आसमाँ नहीं मिलता
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ मोहब्बत का कारोबार चले
मज़ा तो जब है कि हर लम्हा ज़िक्र-ए-यार चले
मैकश नागपुरी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ सब ने अपने ए'तिबार चुन लिए
ख़िरद ने फूल ले लिए जुनूँ ने ख़ार चुन लिए
अबरार किरतपुरी
शेर
ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ मेरे अश्क-ए-ग़म की तर्जुमानी है
कोई कहता है मोती है कोई कहता है पानी है
फ़िगार उन्नावी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-हौसला कोई कहीं कोई कहीं तक है
सफ़र में राह-ओ-मंज़िल का तअ'य्युन भी यहीं तक है