aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نیپال"
सरवर नेपाली
शायर
अल-हिरा एजुकेशनल सोसाईटी, नेपाल
पर्काशक
गुलज़ार-ए-अदब, नेपालगंज
शोबा-ए-नशरो-इशाअत जामिया सिराजुल-उलूम, नेपाल
बदरूज़्ज़मा नैपाली
लेखक
गोपालसिंह नेपाली
मौलवी मोहम्मद अरक़म नेपाली
सेठ जी की आँखों में नूर आ गया, शबाब का एहसास पैदा हुआ और इसके साथ चेहरे पर भी शबाब की झलक आगई, सीना जैसे कुछ फ़राख़ हो गया। चलते वक़्त उनके पैर कुछ ज़्यादा मज़बूती से ज़मीन पर पड़ने लगे। और सर की टोपी भी ख़ुदा जाने क्यों कज हो गई। बुशरे से एक बांकपन की शान बरस रही थी। राज वैद ने मुज़्दा-ए-जाँफ़िज़ा सुनाया तो बोले, “मैंने कहा था ज़रा सोच समझ कर उन गोलियों ...
पंखे की स्पीड बढ़ाओकाठमांडो नेपाल में है
“हाँ, उसने फूलती सरसों को देखा और अपने शहर के ज़िंदाँ से निकल भागा।”“और क्या तुझे यक़ीन है कि वो मैं नहीं था?”
मेरा क़ायदा ये है कि मैं क्रिसमस से माह डेढ़ माह पहले ही कलकत्ता आ जाता हूँ और सुपर में क़ियाम करता हूँ, हर साल नहीं आता तीसरे चौथे साल आता हूँ और सिर्फ बड़ा शिकार खेलता हूँ। लोमड़ी और ख़रगोश मारना मेरा काम नहीं है, मैं सिर्फ शेरनी का शिकार करता हूँ।इस साल मुझे सुपर में ठहरे हुए बीस रोज़ हो चुके थे मगर अब तक शिकार का दूर-दूर तक कोई पता ना था। नेपाल की एक अमीर ज़ादी आई थी। मगर सिर्फ पाँच दिन होटल में रह कर चली गई।
एक शख़्स ने छःमहीने की छुट्टी बगै़र तनख़्वाह के ली और क़िस्मत आज़माई करने नेपाल पहुँचा। किराए के जानवरों के पांव में ज़ंजीरे बांधीं कि शायद कोई ज़ंजीर पारस पत्थर से छू जाए। हर वक़्त उन्हें जंगलों में लिये-लिये फिरता। दिन गुज़रते गए और कुछ न बना। आख़िर छुट्टी ख़त्म हुई। जानवर और ज़ंजीरे लौटा कर क़िस्मत को बुरा-भला कह रहा था कि जूता उतारते वक़्त मा'लूम हुआ ...
नेपालنیپال
Nepal
Nepal Mein Islam Ki Tareekh
मोहम्मद रज़ा सालिक
2017इस्लामिक इतिहास
Nepal Mein Urdu Zaban-o-Adab
नसीम अहमद नसीम
2008शोध
Wonderful India
टाईम्स ऑफ़ इंडिया प्रकाशन, नई दिल्ली
भारत का इतिहास
Nepal Ke Urdu Shoara Ka Tafsili Jaeza
शारिक़ रब्बानी
2018
Safar Nama, Pakistan, Sikkim Aur Nepal
फरीद मिर्ज़ा
1984
Nepal mein Urdu ki Shama
नैपाल में उर्दू ज़बान-ओ-अदब
2009
उलमा-ए-अहल-ए-हदीस बस्ती-ओ-गोण्डा
1990अन्य
Ham Bhi Munh Mein Zaban Rakhte Hain
वसी मकरानी वाजदी
2011
Rafa-e-Yadain Mansookh Nahi Hai
1978इस्लामियात
उमंग
1934
फ़र्ज़ कीजिए आम लफ़्ज़ों को तो मुतरादिफ़ात के ज़रिए बदल भी लिया जाए लेकिन नामों का क्या कीजिएगा। बा'ज़ नामों में तो ज़बानों का संजोग अजीब-ओ-ग़रीब शक्लें इख़्तियार करता है। मसलन बुद्ध यानी गौतम बुद्ध के मुजस्समों की रिआयत से फ़ारसी ने बुद्ध से "बुत" बना लिया। गुरु तेग़ बहादुर का नाम किसने नहीं सुना। नेपाल कभी मुसलमानों के ज़ेरे नगीं नहीं रहा, लेकिन श...
कुछ होता रहेगा यूँही हर साल नदारदतिब्बत कभी ग़ाएब कभी नेपाल नदारद
कहा जाता है कि वो नेपाल की रहने वाली है, मुझे उस के मुताल्लिक़ हत्मी तौर पर कुछ मालूम नहीं लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि सितारा के अलावा उस की दो बहनें और थीं। ये त्रिशूल यूं मुकम्मल होता है। तारा, सितारा और अलकनंदा, तारा और अलकनंदा तो अब क़रीब क़रीब मादूम हो चुकी हैं। मेरा ख़याल है उनका नाम भी किसी को याद नहीं होगा। इन तीन बहनों की ज़िंदगी वैसे बहुत दिलचस्प है। तारा की कई मर्दों से वाबस्तगी रही। इस हुजूम में एक शौकत हाश्मी भी हैं जो उन तक कई पापड़ बेल चुके हैं। हाल ही में उनकी बीवी पुरनिमा ने उनसे तलाक़ ली है और वो इस सिलसिले में बड़े दर्दनाक बयान दे चुके हैं। अलकनंदा कई हाथों से गुज़री और आख़िर में प्रभात के शोहरत याफ़्ता ऐक्टर बलवंत सिंह के पास पहुंची, उस के पास वो अभी तक है या नहीं इस का मुझे इल्म नहीं।
मुश्क-ए-नेपाल ने आलम से मशाइख़ खींचेखोदी मिट्टी तो कई दफ़न ख़ज़ाने निकले
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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