aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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mai.n agar rone laguu.n rutba-e-vaalaa ba.Dh jaa.epaanii dene se nihaal-e-qad-e-baala ba.Dh jaa.e
tasKHiir-e-kaa.enaat ke da.ave bajaa sahiiham-rutba-e-KHudaa bhii hu.aa hai bashar kahii.n
शाम के साये गहरे हो रहे थे और गौतमा अभी तक नहीं आई थी। रेस्तोरान, जिसकी बालकोनी में बैठा मैं उसका इंतज़ार कर रहा था, शहर के बड़े बाग़ के पिछवाड़े वाक़े था और किसी पुरानी ख़ानक़ाह के मानिंद चीड़, यूक्लिप्टस और मोलसिरी के दराज़ क़द दरख़्तों में घिरा हुआ...
मोना लीज़ा की मुस्कुराहट में क्या भेद है? उसके होंटों पर ये शफ़क़ का सोना, सूरज का जश्न तुलूअ है या ग़ुरूब होते हुए आफ़ताब का गहरा मलाल? इन नीम वा मुतबस्सिम होंटों के दरमियान ये बारीक सी काली लकीर किया है? ये तूलू-व-ग़ुरूब के ऐन बीच में अंधेरे की...
राजदा ने कहा था मेरे मुतअल्लिक़ अफ़साना मत लिखना। मैं बदनाम हो जाऊँगी। इस बात को आज तीसरा साल है और मैंने राजदा के बारे में कुछ नहीं लिखा और न ही कभी लिखूँगा। अगरचे वो ज़माना जो मैंने उसकी मोहब्बत में बसर किया, मेरी ज़िंदगी का सुनहरी ज़माना था...
रुतबा-ए-वालाرتبۂ والا
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lekin ye jogii dil vaalaaai gorii ka.ngaal nahii.n hai
“लो मिर्ज़ा तफ़ता एक बात लतीफ़े की सुनो। कल हरकारा आया तो तुम्हारे ख़त के साथ एक ख़त करांची बंदर से मुंशी फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का भी लाया जिसमें लिखा है कि हम तुम्हारी सदसाला बरसी मनाते हैं। जलसा होगा जिसमें तुम्हारी शायरी पर लोग मज़मून पढ़ेंगे। बहस करेंगे। तुम्हारी...
teraa nuur zuhuur salaamat ik din tujh par maah-e-tamaamchaa.nd-nagar kaa rahne vaalaa chaa.nd-nagar likh jaa.egaa
मोमिन की पहचान ये है कि वो एक सुराख़ से दुबारा नहीं डसा जा सकता। दूसरी बार डसे जाने के ख़्वाहिशमंद को कोई दूसरा सुराख़ ढूंढना चाहिए। ख़ुद को मेहमान-ए-खुसूसी बनते हमने एक बार देखा था। दूसरी बार देखने की हवस थी। अब हम हर रोज़ बालों में कंघा करके...
हमने कहा, “ये जो तुम लोगों के लिपे पुते घरों की दीवारों को काली कूची फेर कर ख़राब करोगे, कोई पूछने वाला नहीं है तुम्हें। कारपोरेशन नहीं रोकती, पुलिस नहीं टोकती?” बोले, “पहले ये लोग मिलावट को तो रोक लें, अताइयों और गदागरों को तो टोक लें। शहर से गंदगी...
हमने देखा है कि लोग अंधा-धुंद जिस दिन जो काम चाहें शुरू करदेते हैं। यह जंत्री सबके पास हो तो ज़िंदगी में इंज़िबात आ जाए। हफ़्ते का दिन आया और सभी लोग सूटकेस उठा कर सफ़र पर निकल गए। जो न जा सके वह बच्चों को स्कूल में दाख़िल कराने...
ये बहुत मशहूर जानवर है। क़द में अक़ल से थोड़ा बड़ा होता है। चौपायों में ये वाहिद जानवर है कि मौसीक़ी से ज़ौक़ रखता है, इसीलिए लोग इसके आगे बीन बजाते हैं। किसी और जानवर के आगे नहीं बजाते। भैंस दूध देती है लेकिन वो काफ़ी नहीं होता। बाक़ी दूध...
वाश एंड वियर क्वालिटी हमारे इस्लामी तारीख़ी नाविलों में भी दस्तयाब है। आर्डर के साथ इस अमर से मुत्तला करना ज़रूरी है कि कौन सी क़िस्म मतलूब है। 65% रूमान और 35% तारीख़ वाली या 65% तारीख़ और 35% रूमान वाली। अज्ज़ा-ए-तर्कीबी आम तौर पर हस्ब-ए-ज़ैल होंगे: 1. हीरोइन, काफ़िर...
इन उमूर में असल मुश्किल उस वक़्त पेश आती है जब कि कुत्ते को मालूम न हो कि उसे अख़बार में छपी हुई हिदायत की पाबंदी करनी है यानी कोई शख़्स बाज़ू लटकाकर दूसरी तरफ़ मुँह करे तो उसे दुम दबा कर खिसक जाना चाहिए। या तो बा’ज़ कुत्ते नाख़्वान्दा...
लाहौर के एक अख़बार में एक वकील साहिब के मुताल्लिक़ ये ख़बर मुश्तहिर हुई है कि कोई ज़ालिम उनका सरमाया इल्म-ओ-फ़ज़ल और दौलत सब्र-ओ-क़रार और आलात-ए-कारोबार लूट ले गया है। तफ़सील माल मस्रूक़ा की ये है एक डिग्री बी.ए. की एक एल.एलबी. की। एक कैरेक्टर सर्टीफ़ेक्ट बदीं मज़मून कि हामिल...
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