aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دکھانا"
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
बुज़-दिली होगी चराग़ों को दिखाना आँखेंअब्र छट जाए तो सूरज से मिलाना आँखें
गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रबतिरी निगाह-ए-करम को भी मुँह दिखाना था
तुम्हें जफ़ा से न यूँ बाज़ आना चाहिए थाअभी कुछ और मिरा दिल दुखाना चाहिए था
धीमा धीमा दर्द सुहाना हम को अच्छा लगता थादुखते जी को और दुखाना हम को अच्छा लगता था
इश्क़ है इश्क़ तो इक रोज़ तमाशा होगाआप जिस मुँह को छुपाते हैं दिखाना होगा
तस्वीर के दो रुख़ हैं जाँ और ग़म-ए-जानाँइक नक़्श छुपाना है इक नक़्श दिखाना है
न वाइज़ हज्व कर एक दिन दुनिया से जाना हैअरे मुँह साक़ी-ए-कौसर को भी आख़िर दिखाना है
दिखाना पड़ेगा मुझे ज़ख़्म-ए-दिलअगर तीर उस का ख़ता हो गया
मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मुँह दिखाना हैबहाना कर के तन्हा पार उतर जाना नहीं आता
अपने दुख में रोना-धोना आप ही आयाग़ैर के दुख में ख़ुद को दुखाना इश्क़ में सीखा
मैं अपने आप को भी देखने से क़ासिर हूँये शाम-ए-हिज्र मुझे क्या दिखाना चाहती है
है प्यार का ये खेल कहाँ मक्र से ख़ालीलेकिन दिल-ए-नादाँ को दिखाना नहीं आया
आईना रू-ब-रू रख और अपनी छब दिखानाक्या ख़ुद-पसंदियाँ हैं क्या ख़ुद-नुमाईयाँ हैं
एक दिन आगे ही दुनिया से उठाना हम कोशब-ए-फ़ुर्क़त तू इलाही न दिखाना हम को
तस्वीर-ए-रू-ए-यार दिखाना बसंत काअटखेलियों से दिल को लुभाना बसंत का
दिल दुखाना मिरा नहीं मक़्सदहक़-बयानी मिरी नहीं जाती
रश्क-ए-जिनाँ चमन को बनाना बसंत काहर हर कली में रंग दिखाना बसंत का
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिलाअगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
''आप की याद आती रही रात भर''चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
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