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शेर
ज़ब्त करता हूँ वले इस पर भी है ये जोश-ए-अश्क
गिर पड़ा जो आँख से क़तरा वो दरिया हो गया
मीर तस्कीन देहलवी
शेर
इक न इक ज़ुल्मत से जब वाबस्ता रहना है तो 'जोश'
ज़िंदगी पर साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ क्यूँ न हो
जोश मलीहाबादी
शेर
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
ख़ुदा का शुक्र सलामत रहा हरम का ग़िलाफ़
अल्लामा इक़बाल
शेर
करते हैं अर्बाब-ए-दिल अंदाज़ा-ए-जोश-ए-बहार
मेरा दामन देख कर मेरा गरेबाँ देख कर
अब्बास अली ख़ान बेखुद
शेर
है दिल में जोश-ए-हसरत रुकते नहीं हैं आँसू
रिसती हुई सुराही टूटा हुआ सुबू हूँ
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
किया हंगामा-ए-गुल ने मिरा जोश-ए-जुनूँ ताज़ा
उधर आई बहार ईधर गरेबाँ का रफ़ू टूटा