aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "शायान-ए-दरगुज़र"
बहुत बदला मज़ाक़-ए-दिल ख़याल-ए-यार ने लेकिनजो शायान-ए-मज़ाक़-ए-यार था ऐसा कहाँ बदला
तर्क कर अपना भी कि इस राह मेंहर कोई शायान-ए-रिफ़ाक़त नहीं
मैं देखता हूँ फ़राज़-ए-जुनूँ से दुनिया कोकि सहल भी नहीं शायान-ए-आरज़ू होना
गुज़री जो रहगुज़र में उसे दरगुज़र कियाऔर फिर ये तज़्किरा कभी जा कर न घर किया
ऐ चर्ख़-ए-पीर ज़ोर-ए-जवानी से दर-गुज़रअब पास चाहिए तुझे पुश्त-ए-ख़मीदा का
सारा हिसाब-ए-जान-ओ-दिल रक्खा है तेरे सामनेचाहे तो दे अमाँ मुझे चाहे तो दरगुज़र न कर
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