aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tasarruf"
कुछ कुछ मिरी आँखों का तसर्रुफ़ भी है शामिलइतना तो हसीं तू मिरे गुलफ़ाम नहीं है
ये तसर्रुफ़ है 'मुबारक' दाग़ काक्या से क्या उर्दू ज़बाँ होती गई
आज-कल मेरे तसर्रुफ़ में नहीं है लेकिनज़िंदगी शहर में होगी कहीं दो चार के पास
रत्ब-ओ-याबिस में है तसर्रुफ़-ए-इश्क़आँख दरिया है दिल जज़ीरा है
ज़िंदगी उस की अमानत थी वगर्ना 'मज़हर'हम इसे अपने तसर्रुफ़ में भी ला सकते थे
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने मेंजो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात कीऔर हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए
ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासरआराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब'तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता
काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिएतशरीफ़ लाइएगा मुलाक़ात के लिए
आप को मेरे तआरुफ़ की ज़रूरत क्या हैमैं वही हूँ कि जिसे आप ने चाहा था कभी
ये लम्हा लम्हा तकल्लुफ़ के टूटते रिश्तेन इतने पास मिरे आ कि तू पुराना लगे
सब होंगे उस से अपने तआरुफ़ की फ़िक्र मेंमुझ को मिरे सुकूत से पहचान जाएगा
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाबबज़्म-ए-साक़ी में अदब आदाब मत देखा करो
'शकेब' अपने तआरुफ़ के लिए ये बात काफ़ी हैहम उस से बच के चलते हैं जो रस्ता आम हो जाए
आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़दूसरे रोज़ ए'तिबार हुआ
ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठेंतकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए
सुनता हूँ मैं कि आज वो तशरीफ़ लाएँगेअल्लाह सच करे कहीं झूटी ख़बर न हो
न तो होश से तआरुफ़ न जुनूँ से आश्नाईये कहाँ पहुँच गए हैं तिरी बज़्म से निकल के
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