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ग़ज़ल
अरशद अब्दुल हमीद
ग़ज़ल
उस ने भुला के आप को नज़रों से भी गिरा दिया
'नासिर'-ए-ख़स्ता-हाल फिर क्यूँ न उसे भुला सके
हकीम नासिर
ग़ज़ल
गोर बचन सिंह दयाल मग़मूम
ग़ज़ल
'अमजद'-ए-ख़स्ता-हाल की पूरी हो क्यूँकर आरज़ू
दिल ही नहीं जब उस के पास मतलब-ए-दिल बर आए क्यों
अमजद हैदराबादी
ग़ज़ल
गिरफ़्त पंजा-ए-फ़ना में ख़स्ता-हाल-ओ-ख़ूँ-चकाँ
हयात-ए-मुस्तआर है ज़मीं से आसमान तक
राग़िब मुरादाबादी
ग़ज़ल
नाज़-ओ-नियाज़-ए-इश्क़ का ख़त्म न हो ये सिलसिला
'नाज़िश'-ए-ख़स्ता-हाल को हँस हँस के तू रुलाए जा