आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "'prem'"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "'prem'"
ग़ज़ल
रातें महकी, साँसें दहकी, नज़रें बहकी, रुत लहकी
सप्न सलोना, प्रेम खिलौना, फूल बिछौना, वो पहलू
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
दिल तोड़ के जाने वाले सुन दो और भी रिश्ते बाक़ी हैं
इक साँस की डोरी अटकी है इक प्रेम का बंधन रहता है