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ग़ज़ल
मीम भी यूँ ही है और नून के अंदर नुक़्ता
मुफ़लिसा बेग है ये वाव भी और छोटी हे
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
नबील अहमद नबील
ग़ज़ल
नून मीम दनिश
ग़ज़ल
हैं साद उस की आँखें और क़द अलिफ़ के मानिंद
अबरू है नून-ए-नादिर गेसू है लाम गोया
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
इश्क़ के मकतब में जब आया पए दर्स-ए-जुनूँ
पहले ही उँगली उठी नून-ए-गरेबाँ की तरफ़
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
ग़ज़ल
मेरे नाम का नून 'मुनव्वर' अस्ल में एक मुअ'म्मा
लाखों शरहों में उभरूँ इक नुक्ते में दब जाऊँ
मुनव्वर हाशमी
ग़ज़ल
ज़ख़्म-ए-दिल पर मेरे कल नून छिड़क कर बोले
आज मैं हूँ नमकीन और मज़ेदार कि तू