aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "چاپلوسی"
समझ लेना कोई मक़्सद है उस की चापलूसी मेंझुका कर सर कोई इख़्लास से इतना नहीं मिलता
लगे हुए हैं समाअ'त की चापलूसी मेंकोई तो हो कि जिसे बोलने की हाजत हो
चापलूसी से रिया-कारी से बे-ग़ैरती सेतुम बनोगे सभी कुछ रहबर-ए-कामिल के सिवा
चापलूसी में किस लिए मशग़ूलख़ैल-ए-कर्रूबियाँ है क्या मालूम
चापलूसी से मुझे भी दुश्मनी महँगी पड़ीकामयाबी को उड़ा कर हक़-बयानी ले गई
किसी की चापलूसी में जो दिन को रात कहना हैकभी भूले से भी उस की हिमायत हम नहीं करते
ख़ुशामद चापलूसी झूट ग़ीबतहमारे पास तो कोई हुनर नइं
चापलूसी मुनाफ़िक़त साज़िशये सिफ़त हर कनीज़-ओ-दास में थी
ये ज़माना है चापलूसी काहम तो वाक़िफ़ नहीं इसी फ़न से
मुझ को गुमनामी में मरना है गवारा लेकिनचापलूसी मिरी 'आदत नहीं होने वाली
जानते थे चापलूसी का हुनरकाम फिर भी दूसरा करते रहे
चापलूसी का फ़न है तेरे पासशहर का शहर तेरे नाम हुआ
चापलूसी और ख़ुशामद से इबारत जो भी हैंसाफ़ कहती है 'तबस्सुम' ये शुमारे मुस्तरद
हमें आती कहाँ है चापलूसीभला हम साहब-ए-दस्तार होंगे
चापलूसी से मरातिब तो मिलेंगे बे-शकदर-ए-ग़ैरत की मगर आब उतर जाएगी
चाटु-कारी छा गई है दफ़्तरों मेंचापलूसी खा गई हर अहलियत को
चापलूसी का हुनर अच्छा नहींनाम अपना ख़ुद कमाना चाहिए
अदावत कर रही है चापलूसीमोहब्बत को शुबह सा हो गया है
ख़ूँ दवातों में क़लम में धार पहले सी कहाँचापलूसी से भरा है हर वरक़ अख़बार का
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