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ग़ज़ल
ग़म की तौफ़ीक़ भी सब को नहीं मिलती 'गौहर'
ये वो ने'मत है जो मुश्किल से ख़ुदा देता है
गौहर उस्मानी
ग़ज़ल
ये तसव्वुर-ए-रिहाई रहे क्यूँ नज़र में 'गौहर'
मुझे क़ैद करने वाले मिरे बाल-ओ-पर जला दे
गौहर उस्मानी
ग़ज़ल
सिवा हो जाए जिस से अज़्मत-ए-दीदा-वरी 'गौहर'
नज़र देना तो यारब फिर मुझे ऐसी नज़र देना
गौहर उस्मानी
ग़ज़ल
बनो तुम शाएक़-ए-इंसानियत 'गौहर' जहाँ तक हो
ज़मीं होगी तुम्हारी और तुम्हारा आसमाँ होगा
गौहर अज़ीज़
ग़ज़ल
हम जो होते तिरी यादों में यक़ीनन शामिल
गौहर-ए-अश्क तिरी आँख से बरसे होते
अब्दुसत्तार अख़्तर अंसारी
ग़ज़ल
ये ज़ीस्त तो 'गौहर' मुझे विर्से में मिली थी
दुनिया ने मगर इस का भी तावान लिया है