aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जामा-ए-तार-तार"
मेरे लिबास-ए-कोहना से हटती नहीं है उन की आँखशायद उलझ गई नज़र जामा-ए-तार-तार में
दामन-ए-तार-तार के क़िस्सेछिड़ गए हैं बहार के क़िस्से
ऐ रफ़ू-गर जो टाँक जामा-ए-तनतार तार और पुर्ज़ा पुर्ज़ा जोड़
मुझे तो रंज क़बा-हा-ए-तार-तार का हैख़िज़ाँ से बढ़ के गुलों पर सितम बहार का है
यास हो कि सरमस्ती चाक जामा-ए-हस्तीतार तार की हद तक तार तार करना था
चमन में फूलों का दामान-ए-तार-तार भी देखबहार देख चुका हासिल-ए-बहार भी देख
क्यूँकर रफ़ूगरी हो दिल-ए-तार-तार कीकोई ख़बर सुनाओ मिरे ग़म-गुसार की
दामन-ए-तार-तार के दिन हैंफिर चमन में बहार के दिन हैं
किताब-ए-ज़ीस्त के औराक़-ए-तार-तार के नाममैं इंतिसाब हूँ ख़ुद अपने इंतिशार के नाम
शुक्र ऐ मौसम-ए-बहार-ए-जुनूँजामा-ए-तार-तार क्या कहना
रफ़ू-ए-दामन-ए-सद-तार-तार रहने देजो रह गई है वही यादगार रहने दे
रौशन पहाड़ियों से उधर कोह-ए-तार मेंकब तक पड़ा रहूँगा उदासी के ग़ार में
ज़ख़्म-ए-दिल तार-तार मत करनाज़िक्र माज़ी का यार मत करना
मिरा लिबास-ए-बदन तार-तार करते हुएगुज़र गया वो मुझे शर्मसार करते हुए
कुछ शम' से पूछो न शब-ए-तार से पूछोक्या हिज्र में बीती ये दिल-ए-ज़ार से पूछो
शब-ए-तार से न घबरा मिरी नौ-बहार अंजुमकि सहर को देखना है हमें नूर का तलातुम
मुद्दत से है लिबास-ए-बदन तार तार दोस्तमैला भी है उतार अब इस को उतार दोस्त
अब और दामन-ए-दिल तार-तार क्या करतेअलम-नसीब उमीद-ए-बहार क्या करते
रोज़-ए-रौशन को शब-ए-तार न कहना आयारात को मतला-ए-अनवार न कहना आया
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