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ग़ज़ल
इस तीर-ए-जिगर-दोज़ से जाँ आ गई लब पर
मिज़्गाँ से तिरी हूँ मैं दिल-ए-अफ़गार ख़बर ले
साबिर रामपुरी
ग़ज़ल
दुनिया को ज़िद नुमाइश-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर से थी
फ़रियाद मैं ने की न ज़माना ख़फ़ा हुआ
अख़्तर सईद ख़ान
ग़ज़ल
फ़रियाद मैं तो मैं मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर करें
उस बज़्म में इजाज़त-ए-गुफ़्तार भी तो हो
तिलोकचंद महरूम
ग़ज़ल
अभी तस्कीं हुई थी इक ज़रा फ़रियाद-ओ-ज़ारी से
लगा दिल मुज़्तरिब होने कि फिर दर्द-ए-जिगर उट्ठा
लाल कांजी मल सबा
ग़ज़ल
दाग़-ए-दिल दाग़-ए-जिगर हसरत-ओ-फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
मुझ को तोहफ़े ये मिले इश्क़ के पैग़ाम के साथ
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
ग़ज़ल
दाग़-ए-दिल दाग़-ए-जिगर हसरत-ओ-फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
मुझ को तोहफ़े में मिले इश्क़ के पैग़ाम के साथ
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
ग़ज़ल
परतव-ए-हुस्न कहीं अंजुमन-अफ़रोज़ तो हो
दिल-ए-पुर-दाग़ मिरा माया-ए-सद-सोज़ तो हो