आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-उम्मीद"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-उम्मीद"
ग़ज़ल
बहार-ए-गुलशन-ए-हस्ती है क़ाएम शादी-ओ-ग़म से
जो गुल ख़ंदाँ है गुलशन में तो गिर्यां शम-ए-महफ़िल में
निहाल लखनवी
ग़ज़ल
चले थे हम कि सैर-ए-गुलशन-ए-ईजाद करते हैं
कि इतने में अजल आ कर पुकारी याद करते हैं
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
फ़ज़ा-ए-गुलशन-ए-मक़्तल नशात-ए-दीदा-ओ-दिल है
कि जाँ-परवर बहार-ए-सब्ज़ा-ए-शमशीर-ए-क़ातिल है
पंडित त्रिभुवननाथ ज़ुतशी ज़ार देहलवी
ग़ज़ल
ऐ बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत हर तरफ़
तेरे आने से हुई है और भी बुस्ताँ में धूम
मीर मोहम्मदी बेदार
ग़ज़ल
तिरे बग़ैर मैं कितना हूँ बे-क़रार न पूछ
बहार-ए-गुलशन-ए-उल्फ़त का हाल-ए-ज़ार न पूछ
सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी
ग़ज़ल
'मुज़्तर' अपने हक़ के काँटे चुन के मैं रुख़्सत हुआ
और क्या देती बहार-ए-गुलशन-ए-फ़ानी मुझे
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
नासिर अंसारी
ग़ज़ल
मैं गुलचीं था बहार-ए-ज़िंदगी के गुल्सितानों का
जो दिन फूलों में बीते थे वो अक्सर याद आते हैं
ए. डी. अज़हर
ग़ज़ल
है बजा गर होवे ग़ज़ल-ख़्वाँ मिस्ल-ए-बुलबुल दिल मिरा
नौ-बहार-ए-गुलशन-ए-दीदार कूँ देखा न था