आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "लगना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "लगना"
ग़ज़ल
ख़्वाब में भी मेरी ज़ंजीर-ए-सफ़र का जागना
आँख क्या लगना कि इक सौदा-ए-सर का जागना
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ग़ज़ब है ठेस लगना 'इश्क़ की ख़ुद्दार फ़ितरत को
बस ऐ चश्म-ए-करम अब इल्तिफ़ात-ए-राएगाँ कब तक
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
ज़ख़्म का लगना हमें दरकार था सो इस के बा'द
ज़ख़्म का रिस्ना भी क्या और ज़ख़्म का भरना भी क्या
वज़ीर आग़ा
ग़ज़ल
इक ज़रा आँखों पे चश्मा लगना बाक़ी था मिरी
साफ़ उस के बा'द तो हर एक चेहरा हो गया