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ग़ज़ल
वाँ वो ग़ुरूर-ए-इज्ज़-ओ-नाज़ याँ ये हिजाब-ए-पास-ए-वज़अ
राह में हम मिलें कहाँ बज़्म में वो बुलाए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बहुत मुश्किल है पास-ए-लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-जिगर करना
किसी से इश्क़ करना और वो भी उम्र भर करना
जमील मज़हरी
ग़ज़ल
सोज़-ए-दिल पास-ए-वफ़ा दर्द-ए-जिगर है कि नहीं
जो था मस्जूद-ए-मलाइक वो बशर है कि नहीं
सय्यदा फ़रहत
ग़ज़ल
पास-ए-नामूस-ए-तमन्ना हर इक आज़ार में था
नश्शा-ए-निगहत-ए-गुल भी ख़लिश-ए-ख़ार में था
होश तिर्मिज़ी
ग़ज़ल
'हिजाब' इस शहर-ए-ना-पुरसाँ में सब झगड़ा अना का है
सुरूर-ए-ख़ुद-परस्ती में ख़ुदी को कौन लिक्खेगा
हिजाब अब्बासी
ग़ज़ल
हिजाब अब्बासी
ग़ज़ल
है सौ अदाओं से उर्यां फ़रेब-ए-रंग-ए-अना
बरहना होती है लेकिन हिजाब-ए-ख़्वाब के साथ