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ग़ज़ल
जान आँखों में रही जी से गुज़रने न दिया
अच्छी दीदार की हसरत थी कि मरने न दिया
शैख़ अब्दुल लतीफ़ तपिश
ग़ज़ल
जान आँखों में रही जी से गुज़रने न दिया
अच्छी दीदार की हसरत थी कि मरने न दिया
शैख़ अब्दुल लतीफ़ तपिश
ग़ज़ल
दिल उन की मोहब्बत का जो दीवाना लगे है
ये ऐसी हक़ीक़त है जो अफ़्साना लगे है
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
ग़ज़ल
मुझे जैसे दो-आलम मिल गए जब मिल गई 'शारिक़'
वो इक साअ'त मोहब्बत की जो उस के ग़म में गुज़री है
शारिक़ मेरठी
ग़ज़ल
जिस ने बख़्शा था मुझे दर्द-ए-मोहब्बत 'शारिक़'
उस नज़र से भी इलाज-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ न हुआ
शारिक़ मेरठी
ग़ज़ल
'अजाइब शग़्ल में थे रात तुम ऐ शैख़ रहमत है
मैं उस रीश-ए-बुलंद और दामन-ए-कोताह के सदक़े
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
पाक-बाज़ी है बड़ी तौहीन-ए-रहमत शैख़ जी
कीजिए कुछ तो ख़ता गर है यक़ीं ग़फ़्फ़ार में
सदा अम्बालवी
ग़ज़ल
शैख़ जी आज तो दस्तार-ए-फ़ज़ीलत भी नहीं
रेहन क्या उस को भी रख आए हो मय-ख़ाने में
नज़ीर मोहम्मद आरज़ू जयपुरी
ग़ज़ल
ऐ शैख़ क़दम रखियो न इस राह में ज़िन्हार
है सुब्हा-शिकन रिश्ता-ए-ज़ुन्नार-ए-मोहब्बत
मीर मोहम्मदी बेदार
ग़ज़ल
तिरे दीवाने इज़हार-ए-मोहब्बत कर नहीं सकते
मोहब्बत कर के तौहीन-ए-मोहब्बत कर नहीं सकते