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ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-हसरत-ए-दिल चाहिए ज़ौक़-ए-मआसी भी
भरूँ यक-गोशा-ए-दामन गर आब-ए-हफ़्त-दरिया हो
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
कुछ तो कर दरिया मिरे इन को डुबो या पार कर
कश्तियों ने अपना दुख आब-ए-रवाँ पर लिख दिया
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
अब अर्ज़-ए-शश-जिहत है न दरिया-ए-हफ़्त-मौज
मिस्मार आँख में अदम-ए-आसमाँ है 'ज़ेब'
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
ख़ुद-कुशी थी या तक़ाज़ा-ए-नुमू-ए-शौक़ था
दिल के दरिया आब-ए-बहर-ए-बे-कराँ तक आ गए
सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही
ग़ज़ल
'जावेद' नज़्द-ए-आब-ए-रवाँ कह गया फ़क़ीर
दरिया में जो गया वो गुज़रने में लग गया
अब्दुल्लाह जावेद
ग़ज़ल
तिश्ना हूँ बहर-ए-उल्फ़त-ए-अबरू-ए-यार का
दरिया-ए-आब-ए-ख़ंजर-ए-क़ातिल से क्या ग़रज़