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ग़ज़ल
ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-हिज्राँ ग़म-ए-याराँ
ये सारे ग़म हमेशा मुझ से हम-आग़ोश रहते हैं
शान-ए-हैदर बेबाक अमरोहवी
ग़ज़ल
शाख़-ए-जज़्बात पे नग़्मात का मंज़र ख़ामोश
ग़म की आग़ोश में अरमाँ का कबूतर ख़ामोश
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
फ़ज़ा-ए-ख़ंदा-ए-गुल तंग ओ ज़ौक़-ए-ऐश बे-परवा
फ़राग़त-गाह-ए-आग़ोश-ए-विदा'-ए-दिल-पसंद आया
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मैं तो हूँ परवर्दा-ए-आग़ोश-ए-तूफ़ान-ए-फ़ना
ख़ुद डुबो देता हूँ कश्ती क़ुर्ब साहिल देख कर
नख़्शब जार्चवि
ग़ज़ल
ये जब्र-ओ-क़दर-ए-मशिय्यत ये क़ुव्वत-ए-फ़ितरत
ब-क़द्र-ए-हौसला-ए-दिल नहीं तो कुछ भी नहीं