aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aajmii"
तेरी आँखें न रहीं आईना-ख़ाना मिरे दोस्तकितनी तेज़ी से बदलता है ज़माना मिरे दोस्त
نہ ميں اعجمي نہ ہندي ، نہ عراقي و حجازي کہ خودي سے ميں نے سيکھي دوجہاں سے بے نيازي
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लियामुआफ़ कर के मुझे इंतिक़ाम उस ने लिया
मिरी नवा से हुए ज़िंदा आरिफ़ ओ आमीदिया है मैं ने उन्हें ज़ौक़-ए-आतिश आशामी
मुझ को ये फ़िक्र कब है कि साया कहाँ गयासूरज को रो रहा हूँ ख़ुदाया कहाँ गया
गिर जाए जो दीवार तो मातम नहीं करतेकरते हैं बहुत लोग मगर हम नहीं करते
चंद ख़ुशियों को बहम करने मेंआदमी कितना बिखर जाता है
इन लोगों में रहने से हम बेघर अच्छे थेकुछ दिन पहले तक तो सब के तेवर अच्छे थे
उस ने देखा जो मुझे आलम-ए-हैरानी मेंगिर पड़ा हाथ से आईना परेशानी में
दुख नहीं है कि जल रहा हूँ मैंरौशनी में बदल रहा हूँ मैं
तू ने क्यूँ हम से तवक़्क़ो न मुसाफ़िर रक्खीहम ने तो जाँ भी तिरे वास्ते हाज़िर रक्खी
ये भी नहीं कि दस्त-ए-दुआ तक नहीं गयामेरा सवाल ख़ल्क़-ए-ख़ुदा तक नहीं गया
हर शख़्स परेशान है घबराया हुआ हैमहताब बड़ी देर से गहनाया हुआ है
रख़्त-ए-सफ़र है इस में क़रीना भी चाहिएआँखें भी चाहिए दिल-ए-बीना भी चाहिए
हिज्र मौजूद है फ़साने मेंसाँप होता है हर ख़ज़ाने में
हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता हैप्यास का ज़ाइक़ा पानी की तरह होता है
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई हैमोहब्बतों को कोई बद-दुआ लगी हुई है
किसी ने कैसे ख़ज़ाने में रख लिया है मुझेउठा के अगले ज़माने में रख लिया है मुझे
आ के जब ख़्वाब तुम्हारे ने कहा बिस्मिल्लाहदिल मुसाफ़िर थके-हारे ने कहा बिस्मिल्लाह
शामियानों की वज़ाहत तो नहीं की गई हैआज ख़ैरात है दावत तो नहीं की गई है
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