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ग़ज़ल
इक़तिज़ा-ए-असर-ए-नौ है ज़िंदगी तो दरकिनार
मौत को भी हुस्न के साँचे में ढलना चाहिए
निहाल सेवहारवी
ग़ज़ल
शराब-ए-अस्र-ए-नौ में बे-ख़ुदी है नय ख़ुदी साक़ी
जो तू ने आज से पहले पिलाई थी वही मय ला
शफ़ीक़ जौनपुरी
ग़ज़ल
मेरी ग़ज़ल 'उरूज' इक तस्वीर-ए-अस्र-ए-नौ है
मैं ने उसे सँवारा तहज़ीब-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न से
उरूज ज़ैदी बदायूनी
ग़ज़ल
वक़्त की रूह मुनव्वर है नवा से मेरी
अस्र-ए-नौ में है मिरी शोख़ी-ए-अफ़्कार का रंग
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
गुज़ारिश है यही 'मेहदी' हर इक हक़-गो मुअर्रिख़ से
समंदर को भी 'अस्र-ए-नौ में प्यासा लिख दया जाए
मेहदी प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
कब तलक गाएगा 'माहिर' अज़मत-ए-माज़ी के गीत
अस्र-ए-नौ की रोज़-अफ़्ज़ूँ गर्मी-ए-बाज़ार देख