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ग़ज़ल
किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा
मुझे ग़ैरों ने क्या समझा मुझे अपनों ने क्या समझा
डी. राज कँवल
ग़ज़ल
दुनिया पत्थर फेंक रही है झुँझला कर फ़र्ज़ानों पर
अब वो क्या इल्ज़ाम धरेगी हम जैसे दीवानों पर