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ग़ज़ल
दिल तो क्या जान फ़िदा कर दें तिरे क़दमों पर
आशिक़ों में तिरे ऐसे भी हैं हिम्मत वाले
फ़हीम गोरखपुरी
ग़ज़ल
दिल ओ जाँ फ़िदा-ए-राहे कभी आ के देख हमदम
सर-ए-कू-ए-दिल-फ़िगाराँ शब-ए-आरज़ू का आलम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
शब वो बोले रुख़-ए-रौशन से हटा कर ज़ुल्फ़ें
लो 'फ़िदा' सुब्ह हुई अब हमें जाने दीजे