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ग़ज़ल
लिटा के सीने पे चंचल को प्यार से हर-दम
मैं गुदगुदाता था हँस हँस वो ज़ोफ़ खोता था
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
रंज-ओ-सुरूर-ओ-कैफ़ जवानी के चार दिन
क्या क्या तुम्हारे 'इश्क़ में खोता रहा ग़ज़ाल
ए.आर.साहिल "अलीग"
ग़ज़ल
वो मेरी ज़िंदगी भर की कमाई ही सही लेकिन
मैं क्या करता वही सिक्का अगर खोटा निकल आया
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
चमन का लुत्फ़ खोता है चमन में अजनबी होना
ख़िज़ाँ भी अपने गुलशन की भली मालूम होती है
शफ़ीक़ जौनपुरी
ग़ज़ल
कोई पटकता है सर कोई जान खोता है
तिरे ख़िराम ने फ़ित्ने उठाए हैं क्या क्या
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
किस को फ़ुर्सत कौन पढ़ेगा चेहरे जैसा सच्चा सच
रोज़ अदालत में चलता है खोटा सिक्का झूटा सच
बद्र वास्ती
ग़ज़ल
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
पढ़ें धड़ल्ले से शागिर्द भी मेरी ग़ज़लें
मैं खोटा सिक्का चलाऊँ किसी के बाप का क्या