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ग़ज़ल
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
साबित है गुल और शबनम से जो हँसता है वो रोता है
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
बहुत हुआ तो मिरी मोहब्बत तिरी गली तक सफ़र करेगी
गुलाब जैसी हिकायतों को इधर उधर मो'तबर करेगी
ख़ुमार कुरैशी
ग़ज़ल
कहा तो है ख़ुशी तेरी तो ग़म सारे मोहब्बत के
हमारे हैं हमारे हैं हमारे हैं हमारे हैं
मोहम्मद नईम जावेद नईम
ग़ज़ल
गुज़रे हैं जब से ज़ाविया-ए-आगही से हम
दुनिया से बे-नियाज़ हुए हैं ख़ुशी से हम
मोहम्मद अब्दुल क़ादिर अदीब
ग़ज़ल
अफ़्ज़ूनी-ए-मता'-ए-मोहब्बत न पूछिए
किस से मिली है मुझ को ये दौलत न पूछिए
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
ग़ज़ल
हक़ीक़तों से है दुनिया को एहतिराज़ बहुत
कि है मिज़ाज-ए-ज़माना फ़साना-साज़ बहुत
राजा अब्दुल ग़फ़ूर जौहर निज़ामी
ग़ज़ल
बहला रहा हूँ दिल को कि ग़म मो'तबर नहीं
माना शब-ए-हयात मिरी मुख़्तसर नहीं
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
ग़ज़ल
किसी ढब राह पर अब क़ल्ब-ए-दीवाना नहीं आता
कि अश्क आँखों में हैं और लब पे अफ़्साना नहीं आता
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
देख कर ख़ुद को सँवरने की अदा तक ले गया
चैन क्या वो मेरे दिल का आइना तक ले गया
अब्दुल हक़ सहर मुज़फ़्फ़रनगरी
ग़ज़ल
कहीं ख़ुशी से मिरी धड़कनें न थम जाएँ
तू मुझ को इतनी मोहब्बत से मत पुकारा कर
ख़ुर्शीद अम्बर प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
मोहब्बत के सफ़र में रुत भी आती है जुदाई की
हमें उस वक़्त कोई भी ख़ुशी अच्छी नहीं लगती
देवमणि पांडेय
ग़ज़ल
रज़ा-ए-दोस्त 'क़ाबिल' मेरा मेयार-ए-मोहब्बत है
उन्हें भी भूल सकता था अगर उन की ख़ुशी होती
क़ाबिल अजमेरी
ग़ज़ल
जिस में न ख़ुशी हो वो मोहब्बत नहीं अच्छी
कुल्फ़त से जो ख़ाली हो वो राहत नहीं अच्छी