आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "qalb-e-hai.at-e-qalbii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "qalb-e-hai.at-e-qalbii"
ग़ज़ल
यारब ये क़ल्ब-ए-हैअत-ए-कलबी अजीब है
नैरंग देखते हैं ये क्या ऐ ख़ुदा-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
बुलबुल न बाज़ आइयो फ़रियाद-ओ-आह से
कब तक न होगी क़ल्ब-ए-गुल-ए-तर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
है इसी में क़ल्ब-ए-महज़ूँ शर्तिया कहता हूँ मैं
खोल मुट्ठी तेरी चोरी मह-लक़ा पकड़ी गई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
ख़ुदा जाने ये इल्म-ए-हैअत-ए-अश्या कहाँ ठहरे
जिसे उंसुर सा समझा था मुरक्कब सा निकल आया
इमरान शमशाद नरमी
ग़ज़ल
हालत-ए-क़ल्ब सर-ए-बज़्म बताऊँ क्यूँकर
पर्दा-ए-दिल में है इक पर्दा-नशीं का लालच
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
जाता रहा क़ल्ब से सारी ख़ुदाई का इश्क़
क़ाबिल-ए-तारीफ़ है तेरे फ़िदाई का इश्क़