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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
सरकशी ही है जो दिखलाती है इस मज्लिस में दाग़
हो सके तो शम्अ साँ दीजे रग-ए-गर्दन जला
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
मोहब्बत तर्ज़-ए-पैवंद-ए-निहाल-ए-दोस्ती जाने
दवीदन रेशा साँ मुफ़्त-ए-रग-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ग़ाफ़िलों के कान कब खुलते हैं सन कर शोर-ए-हश्र
सोने वालों को जगा सकता नहीं ग़ुल दूर का
अमीर मीनाई
ग़ज़ल
आईना-रुख़ों की महफ़िल में जिस वक़्त अयाँ तुम होते हो
सब आइना साँ रह जाते हैं हैरान तुम्हारी सूरत के