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ग़ज़ल
चाहिए हँस कर छिड़कना ऐ लब-ए-जानाँ नमक
आतिश-ए-ग़म से कबाब और ये दिल-ए-सोज़ाँ है एक
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
ग़ज़ल
शराब लाल-ए-लब-ए-दिल-बराँ है मुझ कूँ मुबाह
अब ऐश-ओ-इशरत-ए-दोनों-जहाँ है मुझ कूँ मुबाह
अब्दुल वहाब यकरू
ग़ज़ल
काकुल-ओ-चश्म-ओ-लब-ओ-रुख़सार की बातें करो
ज़ुल्मत-ए-दौराँ में हुस्न-ए-यार की बातें करो
इम्तियाज़ ख़ान
ग़ज़ल
हिकायात-ए-लब-ओ-रुख़्सार से आगे नहीं जाते
वो नग़्मे जो तुम्हारे प्यार से आगे नहीं जाते
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें
ग़ुर्बत-कदे में किस से तिरी गुफ़्तुगू करें