आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tursh"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "tursh"
ग़ज़ल
न तुर्श-रू हो न खट्टे करो हमारे दाँत
मज़ा है हँस के लब-ए-शक्करीं का बोसा दो
मक़सूद अहमद नुत्क़ काकोरवी
ग़ज़ल
मिरी रूदाद-ए-ग़म पर तुर्श लहजे में कहा उस ने
ये रोना रोज़-ओ-शब शाम-ओ-सहर अच्छा नहीं लगता
वक़ार मानवी
ग़ज़ल
तू ने रक्खा है रक़ीब-ए-तुर्श-रू के दिल पे हाथ
आज क्यों फीका तिरा दस्त-ए-हिना-मालीदा है
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
ये तेज़-रवी ये तुर्श-रुई चलने की नहीं है दूर तलक
शबनम-नज़री शीरीं-सुख़नी आसूदा-गामी रहने दो
अब्दुल अहद साज़
ग़ज़ल
लगे है तुर्श ज़ाहिर में पे है ये साँवला मीठा
मज़े-दारी में है गोया ये मिस्री की डली जामुन
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
न तुर्श-रू हो न खट्टे करो हमारे दाँत
मज़ा है हँस के लब-ए-शक्करीं का बोसा दो