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नज़्म
अब यही कोशिश है दिल से ऐ मिरी अर्ज़-ए-वतन
तेरी पेशानी पे अब कोई शिकन आने न पाए
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
जो राज़ कोशिश-ए-नुत्क़-ओ-ज़बाँ से खुल न सका
वो राज़ अपनी निगाहों से आश्कार किया
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
जो राज़ कोशिश-ए-नुत्क़-ओ-ज़बाँ से खुल न सका
वो राज़ अपनी निगाहों से आश्कार किया
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
सीखना है लेकिन अब मय-ख़ाना-ए-तामीर में
जुम्बिश-ए-नब्ज़-ए-तमन्ना ओ ख़िराम-ए-दौर-ए-जाम
अर्श मलसियानी
नज़्म
वरक़ तारीख़ ने तेज़ी से उल्टे
तग़य्युर ले के साज़-ओ-बर्ग-ए-ता'मीर-ए-जहाँ आया