आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जुम्बा"
नज़्म के संबंधित परिणाम "जुम्बा"
नज़्म
फिर दिल में दर्द सिलसिला-ए-जुम्बा है क्या करूँ
फिर अश्क गर्म-ए-दावत-ए-मिज़्गाँ है क्या करूँ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इन जुम्बा जहतों में साकिन
तब इतने में सात करोड़ कुर्रे फिर पातालों से उभर कर और खिड़की के सामने आ कर
मजीद अमजद
नज़्म
सुन के ये फ़रज़ंद से होती है हैरानी मुझे
''लिख दिया मिन-जुमला-ए-असबाब-ए-वीरानी मुझे''