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नज़्म
मेरी दुनिया मिरे ख़्वाबों की सुनहरी दुनिया
नौहा-ए-ग़म थी मसर्रत का तराना तो न थी
नरेश कुमार शाद
नज़्म
अब वक़्त है दीदार का दम है कि नहीं है
अब क़ातिल-ए-जाँ चारा-गर-ए-कुल्फ़त-ए-ग़म है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हर मसर्रत में है राज़-ए-ग़म-ओ-हसरत पिन्हाँ
क्या सुनोगी मिरी मजरूह जवानी की पुकार