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नज़्म
शौक़-ए-शोहरत हवस-ए-गर्मी-ए-बाज़ार नहीं
दिल वो यूसुफ़ है जिसे फ़िक्र-ए-ख़रीदार नहीं
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
आज तो हम बिकने को आए, आज हमारे दाम लगा
यूसुफ़ तो बाज़ार-ए-वफ़ा में, एक टिके को बिकता है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
गर्मी-ए-हंगामा-ए-महशर तिरी महफ़िल में है
सर्द जो होती नहीं वो आग तेरे दिल में है