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नज़्म
तो दिल ताब-ए-नशात-ए-बज़्म-ए-इशरत ला नहीं सकता
मैं चाहूँ भी तो ख़्वाब-आवर तराने गा नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
रियाज़-ए-दहर में ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इशरत हूँ
ख़ुशी रोती है जिस को मैं वो महरूम-ए-मसर्रत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बज़्म-ए-अंजुम की हर एक तनवीर धुँदली हो गई
रख दिया नाहीद ने झुँझला के हाथों से सितार
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
तू हमेशा रहता है चीं-बर-जबीं अफ़्सुर्दा दिल
फिर किसी की बज़्म-ए-इशरत में न जा बहर-ए-ख़ुदा
नज़्म तबातबाई
नज़्म
बज़्म-ए-इशरत में दुल्हन किस ने बनाया था तुझे
ब्याह कर कौन अपने घर में आह लाया था तुझे
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तू न होती तो न होती बज़्म-ए-इशरत में ज़िया
तू न होती तो न होता मुन्कशिफ़ राज़-ए-फ़ना
साक़िब कानपुरी
नज़्म
बे-नियाज़-ए-'ऐश-ओ-'इशरत आश्ना-ए-दर्द-ओ-ग़म
एक मुश्त-ए-उस्तुख़्वाँ आशुफ़्ता-रौ बा-चश्म-ए-तर
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
वक़्त थोड़ा है बहुत काम है करना बाक़ी
दे न मुझ को तू नवेद-ए-शब-ए-‘इशरत ऐ दोस्त
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
मुझे शिकवा नहीं उफ़्तादगान-ए-ऐश-ओ-इशरत से
वो जिन को मेरे हाल-ए-ज़ार पर अक्सर हँसी आई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
फ़ज़ा-ए-दहर लबरेज़-ए-मसर्रत है तो मुझ को क्या
अगर दुनिया ख़राब-ए-ऐश-ओ-इशरत है तो मुझ को क्या