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नज़्म
दरिया पुल पर चलता था पानी में रेलें चलती थीं
लंगूरों की दुम पर अंगूरों की बेलें पकती थीं
गुलज़ार
नज़्म
मिरे जब एक बच्चा था तो थी ये ऐश-सामानी
कभी मुर्ग़-ए-मुसल्लम था कभी पकती थी बिरयानी
हिलाल रिज़वी
नज़्म
ग़ाफ़िल आदाब से सुक्कान-ए-ज़मीं कैसे हैं
शोख़ ओ गुस्ताख़ ये पस्ती के मकीं कैसे हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
गुलज़ार
नज़्म
किया रिफ़अत की लज़्ज़त से न दिल को आश्ना तू ने
गुज़ारी उम्र पस्ती में मिसाल-ए-नक़्श-ए-पा तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जब तिरे दामन में पलती थी वो जान-ए-ना-तवाँ
बात से अच्छी तरह महरम न थी जिस की ज़बाँ