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नज़्म
न ढूँड पाई मुदावा-ए-ज़ख़्म-ज़ार-ए-तमन्ना
समझ सकी न तक़ाज़ा-ए-अहद-ए-तिफ़्ल-कुशी वो
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
जवाँ हूँ मैं जवानी लग़्ज़िशों का एक तूफ़ाँ है
मिरी बातों में रंग-ए-पारसाई हो नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जो मुझ ऐसे हैं रिंद उन को भी ज़ोम-ए-पारसाई है
और इस मज़मून की इक दावत-ए-इफ़्तार आई है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
मर्द-ए-सरकश तुझे आदम की कहानी की क़सम
रूह-ए-इंसाँ के तक़ाज़ा-ए-निहानी की क़सम
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
निवेश साहू
नज़्म
ब-ईं इनआम-ए-वफ़ा उफ़ ये तक़ाज़ा-ए-हयात
ज़िंदगी वक़्फ़-ए-ग़म-ए-ख़ाक-नशीनां कर दे