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जल परी

MORE BYनजमुल हसन रिज़वी

    मुल्ला की शादी की ख़बर किसी बड़े लतीफ़े की तरह दोस्तों पर नाज़िल हुई जो उस वक़्त जुमे की नमाज़ के बाद एक चायख़ाने में बैठे जी बहला रहे थे। यक़ीन नहीं आता मुल्ला जल परी से कैसे शादी कर सकता है! वाजिद ने कहा जो बचपन से उसका दोस्त था।

    ठीक कह रहे हो, इतनी डींगें मारता था वो, कहता था, इस शहर-ए-गुनाह में रहता ज़रूर हूँ मगर बहुत बच-बचा के, मैं ऐसा कोई काम नहीं कर सकता जो दीन के ख़िलाफ़ हो! तनवीर बोला, अर्से तक वह मेरे कमरे में मेरे साथ रहा और मुझे पता है कितना मुश्किल है उसके साथ रहना, पिज़्ज़ा तक आदमी अपनी मर्ज़ी से नहीं मंगा सकता, वो तो बिस्कुटों और टॉफ़ीयों के पैकेट भी इतनी देर तक गौर गौर से पढ़ता था कि उन्हें खाने की ख़्वाहिश दम तोड़ देती थी। मगर वो कहता, ये छानबीन ज़रूरी है, कहीं इस में सुअर की चर्बी मिली हो!

    हां यार, मसऊद ने कहा, इत्तिफ़ाक़ से रईस अल्लाह कुछ दिन मेरे साथ भी सीज़र्स पैलेस के एक कोने में वाक़े बरतानवी रेस्तोराँ के कैश काउंटर पर काम करता रहा, जहां सिर्फ़ मछली और आलू के क़त्ले चाय और काफ़ी के साथ ग्राहकों को पेश किए जाते थे। उसे अपना काम पसंद था मगर उसे वहां आते हुए बड़ी उलझन होती थी। वो कहता था रेस्तोराँ तक पहुंचने के लिए उसे रोज़ाना कासिनो के जुएख़ानों की तरफ़ से मुँह फेर के गुज़रना पड़ता था जिससे गर्दन टेढ़ी हो गई!

    वाजिद हँसने लगा, शुरू से वो ऐसा ही है, इसी लिए उसका नाम रईस अल्लाह से मुल्ला पड़ गया और हमारे एक दोस्त ने जो शायर थे एक नज़्म कही जो ऐसे शुरू होती थी कि : इक हमारा दोस्त मुल्ला है: नाम उसका रईस अल्लाह है!

    नादिर ने कहा, मुझे तो उसकी पतलून देख के हंसी आती है, टख़नों से ऊंची पतलून कौन पहनता है, कहता है, हम शलवारें भी ऐसी ही पहनते हैं ताकि ज़मीन की गंदगी दूर रहे!

    हाँ इसकी गवाही मैं दे सकता हूँ। वाजिद बोला, पहले वो ऐसी ही उटंगी शलवारें पहनता था फिर जब उसने एक स्कूल में मुलाज़मत शुरू की तो अपना लिबास तबदील करना पड़ा क्योंकि स्कूल में सिर्फ़ तलबा को स्कूल का यूनीफार्म पहनने की पाबंदी थी बल्कि असातिज़ा और दीगर अमले को भी पतलून क़मीज़ पहनने को कहा गया था, फिर उसे पहली बार पतलून सिलवानी पड़ी और हमारे शायर दोस्त को एक और नज़्म कहनी पड़ी जिसका एक शेअर था: एक पतलून उसने सिलवाई: जो कि टख़ने तक उस के फिट आई!

    नादिर ने कहा, यानी वो पतलून भी ऐसी ही थी जैसी वो आजकल पहनता है, शरई पतलून!

    वाजिद ने कहा, वो शरई आदमी होता तो फिर मुर्ग़ मुस्लिम की तलाश में यहां गली गली घूमता!

    यार मुर्ग़ मुसल्लम तो सुना था मगर ये मुर्ग़ मुस्लिम क्या होता है? नादिर ने पूछा।

    जो ज़बह होने पर एहतिजाज करे और छुरी के कुंद होने पर कोई हर्फ़-ए-शिकायत ज़बान पर लाए! वाजिद मुस्कुराया।

    मसऊद ने कहा, मगर उसे खाने के लिए मुर्ग़ मुस्लिम मिले या मिले, बंबई होटल की भिंडी बड़े शौक़ से खाता है, कहता है भिंडी की सबसे अच्छी बात ये है कि उसे ज़बह करने की ज़रूरत नहीं!

    वाजिद ने कहा, खाने में उसे बस तीन चीज़ें पसंद हैं, भिंडी, भुट्टा और बिरयानी, बिरयानी के लिए भी उसने एक होटल ढूंढ लिया है जहां हलाल मुर्ग़ की बिरयानी के बजाय बड़े मज़े की मछली बिरयानी मिलती है। भुट्टे की तलाश में उसे कुछ ज़्यादा दूर नहीं जाना पड़ता क्योंकि जिस पार्क में वो अपनी शामें गुज़ारता है उसके अंदर एक फास्टफूड स्टाल से उसे भुना हुआ भुट्टा भी मिल जाता है और पाप कार्न भी!

    मसऊद ने कहा, उसी पार्क में तो उसका पहला ग़ैर शरई रूमान शुरू हुआ था, याद है?

    हाँ, मैंने एक-बार मज़ाक़न उससे कहा भी कि यार तुम हलाल चिकन की तलाश में तो बहुत रहते हो मगर हलाल औरत की फ़िक्र नहीं करते वर्ना इस ग़ैर शरई रूमान की ज़रूरत पेश आती! वाजिद बोला: कहने लगा, शुरू में सारे रूमान ग़ैर शरई होते हैं, क़ैद शरीयत में आके सारी औरतें हलाल होजाती हैं!

    मसऊद ने हंस के पूछा, तो उसने कुल कितने ग़ैरशरई रूमान निभाए?

    पता नहीं यार, वाजिद ने जवाब दिया, मैंने सिर्फ़ दो हसीनाओं को इस पार्क में उसके साथ पाप कार्न खाते देखा, एक लाल बालों वाली लड़की थी जो किसी जुएख़ाने में काम करती थी और दूसरी नशीली आँखों और गुदाज़ रुख़्सारों वाली साहिरा जो एक नाइट क्लब में मुलाज़िम थी, मुल्ला दोनों को बहुत पसंद करता था और अपने हाथ से उन्हें तली मछली के क़त्ले और पाप कार्न खिलाता था। मैंने एक बार उसे छेड़ने को कहा, तुम्हें पता होगा कि ग़ैर लड़कियों को छूना और हाथ लगाना शरअन मना है, उसने कहा, इसी लिए मैं हमेशा दस्ताना पहन के उनसे हाथ मिलाता हूँ या छूता हूँ!

    अगर उसे उन लड़कियों से इतनी मुहब्बत थी तो उसने किसी एक से शादी क्यों नहीं कर ली? मसऊद ने पूछा।

    वाजिद ने कहा, मैंने भी उससे यही सवाल किया था मगर उसने कहा, लाल बालों वाली को जुएख़ाने की मुलाज़मत बहुत पसंद है और वो उसे छोड़ना नहीं चाहती, अलबत्ता मैं दूसरी वाली पर मेहनत कर रहा हूँ, मुझे उम्मीद है कि वो मुझसे शादी करने को राज़ी हो जाएगी,बस उसे मेरी दाढ़ी से मसला है!

    दाढ़ी से, भला वो क्यों? मसऊद हैरान हुआ।

    वाजिद ने कहा, वो चाहती है कि रईस अल्लाह अपनी दाढ़ी का स्टाइल बदले, लंबी दाढ़ी उसे बुरी नहीं लगती मगर बचपन में फोड़ा निकलने की वजह से ठोढ़ी के नीचे बालों के उगने से उसकी दाढ़ी में जो एक खिड़की सी बन गई है बड़ी बदनुमा लगती है जिसे बंद करना बेहतर होगा, मगर शायद अब तक बेचारे को अपनी दाढ़ी की खिड़की बंद करने का कोई तरीक़ा नहीं सूझा!

    वाजिद ने कहा, एक लड़की उसे खिड़की वाली दाढ़ी समेत क़बूल करने को तैयार हो गई थी और वो थी भी उसकी ख़्वाहिश के मुताबिक़ बड़ी ख़ूबसूरत मगर वो एक नाइट कलब में ब्रहना रक़्स यानी स्ट्रिपटीज़ का मुज़ाहरा करने पर मामूर थी। भला हमारा दोस्त क्योंकर उस पर राज़ी होता, उसने बड़ी कोशिश की कि मुहतरमा अल्लाह की अता करदा नेअमतों को आँखों के मेले में लुट जाने से बचाएं मगर कुछ बात नहीं बनी!

    मसऊद ने कहा: इस का मतलब तो हुआ कि मौसूफ़ एक ऐसी शरीक-ए-हयात की तलाश में हैं जिसे वो अपनी मर्ज़ी से हलाल कर सकें, तुम तो उन के पुराने दोस्त हो आख़िर तुमने उन्हें ये मश्वरा क्यों नहीं दिया कि वो एक बार वतन-ए-अज़ीज़ का चक्कर लगा के वहां अपनी मर्ज़ी की घरवाली तलाश क्यों नहीं करते, वहां यक़ीनन उनकी दिली मुराद बर आएगी।

    मैंने दिया था ये मश्वरा, वाजिद बोला, मगर हज़रत ने फ़रमाया वहां हलाल चिकन तो बाआसानी दस्तयाब है मगर गर्म मसालों की बोहतात उन्हें इतना ज़हरीला बना देती है कि फ़ूड पाइजनिंग का ख़तरा रहता है, कौन इस मुसीबत में पड़े!

    अच्छा तो गोया वो हज़रत कोलंबस की तरह अपने लिए नई दुनिया की तलाश जारी रखना चाहते थे! मसऊद ने कहा, ख़ैर चलो, उनकी ये तलाश अब ख़त्म हुई, मगर यह जल परी उन्हें कहाँ से मिली?

    वाजिद ने कहा, वो नए साल की रात थी जब हम सारे दोस्त एक पार्टी में मदऊ थे जो फ़ैशन माल में दी गई थी। रईस अल्लाह अगरचे सारी ग़ैर शरई मशरूबात और माकूलात से दूर रहता था मगर वो फ़ैशन माल के उस स्टोर का मुलाज़िम था जिसकी तरफ़ से इस तक़रीब का एहतिमाम किया गया था, लिहाज़ा उसे वहां मौजूद रहना पड़ा जिसका फ़ायदा ये हुआ कि जल परी के आबी तमाशों ने उसे भी मस्हूर किया!

    मगर फ़ैशन माल में जल परी कहाँ से आगई? मसऊद ने पूछा।

    वाजिद ने कहा, जल परी के तमाशों का बंदोबस्त भी उसी स्टोर ने किया था जिसमें हमारा दोस्त काम करता है। उस स्टोर में जल परी ब्रांड के ज़नाने मलबूसात फ़रोख़्त किए जाते हैं। स्टोर की जानिब से माल के बीचों बीच छत से फ़र्श तक शीशे का बड़ा सा हौज़ बनाया गया था जिसमें जल परी ऊपर से नीचे तक तैर सकती थी।

    ओह, भला फ़ैशन माल वालों को कहाँ पता होगा कि जल परी तमाशा शुरू होने पर ऊपर से नीचे आएगी और तैरते हुए सीधी हमारे दोस्त के दिल में उतर जायेगी! मसऊद हंसा।

    बिल्कुल यही हुआ, वाजिद ने कहा, जैसे ही रात के बारह बजे, एक धमाके के साथ नए साल की ख़ुशख़बरी आई और रंग बिरंगे गुब्बारे रंगीन क़ुमक़ुमों के साथ हाल में जगमगाए, शीशे के तालाब में पानी में हलचल हुई और परी चेहरा जल परी शफ़्फ़ाफ़ लहरों को चीरती हुई ऊपर से नीचे की तरफ़ सफ़र करती नज़र आई। सुनहरे बालों ने झिलमिलाते ताज की सूरत में उसके सरको ढाँप रखा था और छाती से पैरों तक सब्ज़ मख़मलीं ग़लाफ़ ने जल परी के दिलकश रूप को मुकम्मल कर दिया था। गोरे गोरे हाथ उसे तैरने में मदद दे रहे थे और चेहरे, गर्दन और सीने के बालाई हिस्से पर जैसे सुबह की रोशनी फैली हुई थी।

    मसऊद ने गहरा सांस लिया। यार तुमने ऐसा भरपूर नक़्श खींचा है जल परी का कि मुझे अफ़सोस हो रहा है कि मैं इस आबी हसीना की ज़यारत से महरूम रहा मगर सोचने की बात ये है कि उसे रईस अल्लाह की कौन सी ख़ूबी पसंद आई जो वो उस मसख़रे के साथ शादी करने पर तैयार हो गई।

    अब ये बात ऐसी है जिसका जवाब वो ख़ुद दे सकता है, वैसे इत्तिला के लिए अर्ज़ है कि मौसूफ़ थोड़ी देर में हम लोगों से शादी की मुबारकबाद वसूल करने यहां आने वाले हैं। वाजिद ने कहा।

    अचानक तनवीर ने जो पूरे वक़्त उनके पास बैठा ख़ामोशी से उनकी बातें सुन रहा था खिड़की से बाहर झांक के कहा, आने वाले नहीं, वो आगए हैं, बाहर अपनी कार पार्क कर रहे हैं!

    चंद लम्हों बाद रईस अल्लाह उसी शान से अंदर दाख़िल हुए। उटंगी पतलून और दाएं हाथ में लाल दस्ताना। तनवीर और मसऊद ने खड़े हो के हाथ मिलाया मगर वाजिद ने कहा, पहले ये मनहूस दस्ताना उतारो जो नामुहरम लड़कियों के पंजों की पैमाइश में तुम्हारे काम आता है।

    रईस अल्लाह ने ज़ोरदार क़हक़हा लगाया, मुझे नहीं पता था कि तुम भी ख़ुद को नामुहरम लड़कियों में शुमार करते हो, ख़ैर ये अब किसी काम का नहीं! उसने दस्ताना उतार के क़रीब रखे कूड़े के डिब्बे में उछाल दिया।

    अरे ये क्या ग़ज़ब किया मेरे हीरो, अभी तो जाने कितनी और हसीनाएं तुम्हारी पंजा आज़माई की मुंतज़िर होंगी! वाजिद बोला।

    नहीं यार, वो अब बदल गया है, उसे जल परी मिल गई, बाक़ी उसे क्या चाहिए, पुराने सब खेल ख़त्म, क्यों? मसऊद ने सवालिया नज़रों से रईस अल्लाह को देखा। और हाँ, आज तुम मस्जिद में नहीं आए।

    सब अपनी अपनी कुर्सीयों पर बैठ गए तो रईस अल्लाह ने कहा, सच कहते हो, मस्रूफ़ियत कुछ बढ़ गई है और जल परी ने तो मेरे दिन-रात अपने क़ब्ज़े में कर लिये हैं!

    मगर यार, हम सब हैरान हैं कि वो तुम्हारे क़ब्ज़ा-ए-क़ुदरत में कैसे आई। तनवीर बोला।

    मुहब्बत, सिर्फ़ मुहब्बत, रईस अल्लाह ने कहा, मेरी मुहब्बत और उसकी अक़ीदत दोनों ने काम दिखाया!

    उसकी अक़ीदत, इसका क्या मतलब? मसऊद ने पूछा।

    भई उसे मेरे ख़यालात पसंद हैं और यह दाढ़ी और पतलून भी, रईस अल्लाह ने जवाब दिया, वो फ़ैशन माल में मेरे स्टोर से जिसका नाम आज के फ़ैशन है, अपने कपड़े खरीदती है और मुझे तो वो नए फ़ैशनों का इश्तिहार समझती है!

    वाजिद हंस पड़ा, अच्छा, वो कैसे?

    भई वो समझती है कि मेरी टख़नों तक ऊंची पतलून जदीद फ़ैशन के मुताबिक़ है और एक हाथ का दस्ताना भी, रईस अल्लाह ने कहा, वो तो मेरी दाढ़ी की भी आशिक़ है जिसे तुम लोग खिड़की वाली दाढ़ी कहते हो बल्कि उसने मश्वरा दिया है कि दाढ़ी को इस तरह तराशुं कि इसके दोनों सिरे नीचे तक लटकते नज़र आएं और लंबी मूंछ दोनों सिरों से मिल के चेहरे पर अंग्रेज़ी लफ़्ज़ ऐच की तस्वीर बना दे। वो कहती है इससे देखने वालों को पता चल सकेगा कि ये कोई आम क़िस्म की दाढ़ी नहीं बल्कि रेश मुक़द्दस है, यानी होली बीयर्ड!

    सब दोस्त ज़ोर से हँसे। यार बड़े तख़लीक़ी ज़ह्न की ख़ातून हैं मुहतरमा, ख़ूब निभेगी तुमसे, वाजिद ने कहा, हम लोगों का ख़याल है कि तुम लोगों को रस्मी तौर पर शादी की मुबारकबाद देने के लिए एक इस्तिक़बालिया तक़रीब मुनाक़िद की जाये जिसमें भाभी साहिबा की बातें सुनी जाएं और सर धुना जाये।

    मगर एक शर्त ये है कि तुम तक़रीब में अपने चेहरे पर भाभी जान की फ़र्माइश के मुताबिक़ रेश मुक़द्दस सजा के आओगे! मसऊद ने कहा, मुझे यक़ीन है कि तुम्हारे नए फ़ैशन की दाढ़ी कुछ ही दिनों में शहर के सब नौजवानों को पागल कर देगी और हर तरफ़ मुक़द्दस दाढ़ियाँ देखने को मिलेंगी!

    मगर हर मुक़द्दस दाढ़ी के मुक़द्दर में जल परी तो नहीं, तनवीर बोला, ये एज़ाज़ तो सिर्फ़ हमारे दोस्त के हिस्से में आया है!

    वाजिद ने पूछा, वैसे यार तुम्हारी जल परी को जल परी बनने का ख़याल कैसे आया, वो तो इतनी ख़ूबसूरत हैं कि बड़े इत्मिनान से एक होश-रुबा मॉडल बन सकती थीं या फिर कोई फ्लेमिंगो रक़ासा और बेले डांसर?

    रईस अल्लाह ने कहा, वो पहले किसी फ़ोटो स्टूडियो के इस्तिक़बाली डेस्क पर काम करती थी मगर वहां आने वाला हर शख़्स उसके साथ सेल्फ़ी ज़रूर बनाना चाहता था, फिर उसने एक मुसव्विर के यहां मॉडल की हैसियत से काम शुरू किया लेकिन कुछ दिनों बाद मुसव्विर साहिब हुस्न ब्रहना की नक़्क़ाशी पर असरार करने लगे। उन्हीं दिनों उसने एक मशहूर तफ़रीही पार्क का इश्तिहार पढ़ा जिसे तैराकी की माहिर ऐसी लड़की की ज़रूरत थी जो जल परी बन के शीशे के तालाब में तैरते हुए पार्क आने वाले लोगों का दिल लुभा सके, उसने मौक़ा हाथ से जाने दिया और उसे वो काम पसंद है! वाजिद ने हाथ के इशारे से बैरे को सब के लिए चाय लाने का आर्डर दिया।

    अब जल परी की कहानी ऐसे मरहले में दाख़िल हो चुकी है कि गर्मा गर्म चाय का एक दौर बहुत ज़रूरी हो गया है! उसने कहा।

    चाय आने तक इधर उधर की बातें होती रहीं। चाय पीते हुए अचानक तनवीर के ज़ह्न में एक अजीब सा सवाल कुलबुलाया, यार एक बात समझ में नहीं आई। वो बोला, तुम्हें वो लड़की भी तो बहुत पसंद थी जो नाइट क्लब में काम करती थी, तुमने उसे क्यों जाने दिया?

    वो? रईस अल्लाह, यार मैं पहले भी बता चुका हूँ वो नाइट क्लब की नौकरी छोड़ने को तैयार नहीं थी, मैं कैसे बर्दाश्त करता, तौबा, तौबा, ब्रहना रक़्स, कुछ भी ढका छुपा नहीं! मगर मेरे भाई, वाजिद ने चाय का एक घूँट ले कर कहा, क्या जल परी? वो चुप हो गया। वो मुख़्तलिफ़ है, तैरते हुए उसका आधे से ज़्यादा बदन जल-परी के कॉस्ट्यूम में छुपा रहता है! रईस अल्लाह ने जवाब दिया।

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