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सिगरेट Noशी

मोहम्मद यूनुस बट

सिगरेट Noशी

मोहम्मद यूनुस बट

MORE BYमोहम्मद यूनुस बट

    साहब, मैं तो अख़बार इसलिए पढ़ता था कि दुनिया के बारे में मेरी मालूमात अपटूडेट रहें। आज का अख़बार पढ़ कर पता चला कि मेरी तो अपने बारे में मालूमात अपटूडेट नहीं हैं। यहाँ डेट से मुराद वो नहीं जो आप समझ रहे हैं। अमरीकी डाक्टरों ने तहक़ीक़ के बाद बताया है कि मैं तो रोज़ाना कई सिगरेट फूंक जाता हूँ। यही नहीं उन्होंने तो हमारी ख़वातीन को भी नहीं बख़्शा। उनके हिसाब से हमारी बेशतर ख़वातीन सिगरेट नोश हैं।

    हुआ यूँ कि अमरीकी डाक्टरों की एक टीम ने एक ख़ातून के मुआइने के बाद कहा कि उसे सिगरेट नोशी की वजह से फेफड़ों का कैंसर हो गया है। मगर इस ख़ातून ने बताया कि मैंने तो कभी सिगरेट नहीं पी। तहक़ीक़ पर पता चला कि ख़ातून ठीक कह रही थी। मगर ग़लत डाक्टरों ने भी नहीं कहा था, क्योंकि उस औरत का ख़ाविंद सिगरेट पीता था और जब कोई आपके सामने सिगरेट की एक डिब्बी पीता है तो दर असल उसमें से दो सिगरेट आप भी बज़रिए सांस पी जाते हैं। यूँ हमारी हर वो औरत जिसका ख़ाविंद, भाई या बाप सिगरेट पीता है, वो सिगरेट नोश है। एक ऐसी ही मोहतरमा ने ख़ाविंद को कहा, “सिगरेट पीना छोड़ दो या मुझे।” ख़ाविंद सोच में पड़ गया तो बीवी ने पूछा, “अब सोचने क्या लगे हो?” तो ख़ाविंद बोला, “सोच रहा हूँ अब खाना कौन पकाया करेगा?”

    मैंने सिगरेट के बारे में एक कालम लिखा था। एक ख़त आया कि आपका कालम पढ़ कर हमें सिगरेट No शी इतनी बुरी लगी कि हमने तौबा कर ली कि आइन्दा कभी आपके कालम नहीं पढ़ेंगे। ज़ाहिर है बंदा वही काम कर सकता है जो उसके लिए आसान हो। जैसे मार्क ट्विन ने कहा था कि मेरे लिए सिगरेट पीना पीने की निसबत आसान है क्योंकि सिगरेट से जान छुड़ाना जान जोखूँ का काम है। कहता है, “मुझे तो एक-बार पुरानी छतरी से जान छुड़ाना था, कूड़े के ड्रम में फेंकी तो सफ़ाई करने वाला पहचान कर वापस कर गया। सड़क पर फेंकी तो मुहल्लेदार पहचान कर दे गए, कई तरीक़े आज़माऐ। आख़िरकार एक दोस्त को उधार दे दी। उसके बाद मैंने उस छतरी की शक्ल नहीं देखी।”

    वैसे टीवी पर सिगरेट के इश्तिहार देखकर लगता है कि हम सिगरेट पिए बग़ैर ज़िंदा कैसे हैं? एक इश्तिहार में एक शख़्स मख़सूस ब्रांड का सिगरेट पी कर शिकार को निकलता और शेर को मार कर लौटता। फिफ्टी फिफ्टी प्रोग्राम में उसकी पैरोडी की गई कि एक दिन वो उसी तरह सिगरेट पी कर शेर के शिकार को निकलता है मगर वापस आता है तो ज़ख़्मी और बदहाल होता है। एक शख़्स पूछता है, “आज तुम शेर को नहीं मार सके क्या वजह हुई?” तो वो कहता है, “आज शेर ने भी उसी ब्रांड का सिगरेट पी रखा था।” वैसे सिगरेट पीना कोई काम नहीं है क्योंकि ये काम होता तो बड़े बड़े अफ़सरों और सरबराहों ने सिगरेट पीने के लिए अलग मुलाज़िम रखे होते।

    हाल ही में बैन-उल-अक़वामी मुशावरती फ़र्म पेट मावरक ने रूस जाने वालों के लिए जो हिदायात नामा मुरत्तब किया है, उसमें कहा गया है कि रूस में दावत के दौरान रेस्तोराँ में गोल मेज़ मुंतख़ब करें क्योंकि रूसियों के हाँ कोने बदक़िस्मती की अलामत होते हैं और आख़िर में बेहतरीन सर्विस पर बैरे को टिप में सिगरेट दें। अगरचे ऐसी टिप तो उस बैरे को देनी चाहिए जो अच्छी सर्विस करे। लेकिन ईलियन बेनेट ने कह रखा है कि रूस में रहने का सिर्फ़ एक ही फ़ायदा है कि ये उन जगहों में से एक है, जहाँ सिगरेट कैंसर नहीं करता क्योंकि के जी बी का हुक्म नहीं। उस वक़्त तक रूस में के जी बी के हुक्म के बग़ैर कोई कुछ नहीं कर सकता था। इस लिहाज़ से तो के जी बी पर पाबंदी के बाद रूस में कैंसर का ख़तरा बढ़ गया होगा, मगर परेशानी की कोई बात नहीं क्योंकि कहते हैं, “Smoking Cures Cancer.”

    सिगरेट के शुरू में सिग आता है सो उसे किसी रेट पर भी मुँह नहीं लगाना चाहिए। सिगरेट पीने वालों से पूछा जाये कि मैं सेहतमंद हूँ, ये कौन सा फे़’ल है? हाल, माज़ी या मुस्तक़बिल? तो जवाब होगा फे़’ल माज़ी। मशहूर अदाकार ग्रेगरी पैकर अपनी सवानेह उमरी में लिखता है कि मेरे डाक्टर ने मुझे नसीहत की कि आपकी सेहत के लिए यही बेहतर है कि फ़ौरन सिगरेट नोशी छोड़ दें। मैंने वादा किया कि मैं आज से सिगरेट नोशी तर्क कर रहा हूँ तो वो बोला, “चूँकि अब तुम सिगरेट नोशी छोड़ ही रहे हो तो ये सोने का लाइटर मुझे गिफ्ट कर दो ।”

    कहते हैं पहले आदमी सिगरेट को पीता है, फिर सिगरेट सिगरेट को पीता है और आख़िर में सिगरेट आदमी को पीता है। लेकिन फिर भी ये हक़ीक़त है कि इतने लोग सिगरेट से नहीं मरते जितने सिगरेट पर मरते हैं। अंग्रेज़ी में उसे स्मोकिंग कहते हैं लोगों को शायद स्मोकिंग पसंद ही इसलिए है कि उसमें किंग आता है लेकिन इस दौर में किंग कहीं के नहीं रहे। सो लगता है अनक़रीब धुआँ देने वाली गाड़ियों की तरह धुआँ देने वाले अफ़राद का भी चौराहों में चालान हुआ करेगा।

    इस ताज़ा तहक़ीक़ से पहले हम सिगरेट पीने के लिए दूसरों के मोहताज होते थे। अब सिगरेट पीना तर्क करने के लिए भी दूसरों के मोहताज हो गए हैं। हमारे एक दोस्त ने कहा, “मेरे बच्चे को अख़बार मुँह में डालने की बड़ी बुरी आदत थी मगर अब नहीं रही।” पूछा, “तुमने ये आदत कैसे छुड़वाई?” बोला, ''मैंने अख़बार लेना बंद कर दिया।” सो सिगरेट पीने की आदत भी ऐसे ही छुड़वाई जा सकती है। लेकिन लोग सिगरेट नोशी को आदत ही नहीं मानते। एक साहब कह रहे थे, “सिगरेट पीने से आदत नहीं पड़ती क्योंकि मैं गुज़श्ता बीस सालों से सिगरेट पी रहा हूँ, मुझे तो आदत नहीं पड़ी।” मैंने कहा, “फिर तुम सिगरेट छोड़ क्यों नहीं देते?” बोले, “सभी कहते हैं सिगरेट पीना सूदमंद है और मैं सूद के बहुत ख़िलाफ़ हूँ।” लेकिन आज सुबह उसने हैरान कर दिया।

    “मैंने आवारा फिरना छोड़ दिया।”

    “क्या?”

    “हाँ, और मैंने जुआ खेलना भी बंद कर दिया।”

    “वाक़ई?”

    “हाँ और मैंने सिगरेट नोशी भी तर्क कर दी।”

    “वेरी गुड, तुमने सब बुरी आदतें छोड़ दीं।”

    “बस एक अभी तक नहीं छोड़ सका।”

    “कौन सी?”

    “झूट बोलना।”

    स्रोत:

    अफ़रा तफ़रीह (Pg. 74)

    • लेखक: मोहम्मद यूनुस बट

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