दुआ पर 20 बेहतरीन शेर
उर्दू शायरी का एक कमाल ये भी है कि इस में बहुत सी ऐसी लफ़्ज़ियात जो ख़ालिस मज़हबी तनाज़ुर से जुड़ी हुई थीं नए रंग और रूप के साथ बरती गई हैं और इस बरताव में उनके साबिक़ा तनाज़ुर की संजीदगी की जगह शगुफ़्तगी, खुलेपन, और ज़रा सी बज़्ला-संजी ने ले ली है। दुआ का लफ़्ज़ भी एक ऐसा ही लफ़्ज़ है। आप इस इन्तिख़ाब में देखेंगे कि किस तरह एक आशिक़ माशूक़ के विसाल की दुआएँ करता है, उस की दुआएँ किस तरह बे-असर हैं। कभी वो इश्क़ से तंग आ कर तर्क-ए-इश्क़ की दुआ करता है लेकिन जब दिल ही न चाहे तो दुआ में असर कहाँ। इस तरह की और बहुत सी पुर-लुत्फ़ सूरतों हमारे इस इन्तिख़ाब में मौजूद हैं।
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मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले
हँसी आ रही है तिरी सादगी पर
दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है
जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना
माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
he who is stricken by love, remembers naught at all
no cure will come to mind, nor prayer will recall
he who is stricken by love, remembers naught at all
no cure will come to mind, nor prayer will recall
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
दुआ करो कि मैं उस के लिए दुआ हो जाऊँ
वो एक शख़्स जो दिल को दुआ सा लगता है
माँगी थी एक बार दुआ हम ने मौत की
शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम
Once upon a time for death I did pray
I am ashamed of life my friend to this very day
Once upon a time for death I did pray
I am ashamed of life my friend to this very day
होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
दिल चाहता न हो तो ज़बाँ में असर कहाँ
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की
आख़िर तो दुश्मनी है असर को दुआ के साथ
to be parted from my dearest I will pray now hence
as after all prayers bear enmity with consequence
to be parted from my dearest I will pray now hence
as after all prayers bear enmity with consequence
बाक़ी ही क्या रहा है तुझे माँगने के बाद
बस इक दुआ में छूट गए हर दुआ से हम
मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत
जो हो सके तो दुआओं को बे-असर कर दे
अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत
अभी हमारी दुआ में असर नहीं आया
दुश्मन-ए-जाँ ही सही दोस्त समझता हूँ उसे
बद-दुआ जिस की मुझे बन के दुआ लगती है