ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर के 10 बेहतरीन शेर
19 वीं सदी के लखनवी शायर
जब ख़फ़ा होता है तो यूँ दिल को समझाता हूँ मैं
आज है ना-मेहरबाँ कल मेहरबाँ हो जाएगा
अपने कूचे में मुझे रोने तो दे ऐ रश्क-ए-गुल
बाग़बाँ पानी हमेशा देते हैं गुलज़ार को
ज़मीं भी निकली जाती है मिरी पाँव के नीचे से
मुझे मुश्किल हुआ है साथ देना अपने मंज़िल का