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महबूब ख़िज़ां के 10 बेहतरीन शेर

पाकिस्तान में नई ग़ज़ल के प्रतिष्ठित शायर

हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नहीं जाते

जीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते

महबूब ख़िज़ां

एक मोहब्बत काफ़ी है

बाक़ी उम्र इज़ाफ़ी है

महबूब ख़िज़ां

तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हें

कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है

महबूब ख़िज़ां

मिरी निगाह में कुछ और ढूँडने वाले

तिरी निगाह में कुछ और ढूँडता हूँ मैं

महबूब ख़िज़ां

देखो दुनिया है दिल है

अपनी अपनी मंज़िल है

महबूब ख़िज़ां

देखते हैं बे-नियाज़ाना गुज़र सकते नहीं

कितने जीते इस लिए होंगे कि मर सकते नहीं

महबूब ख़िज़ां

उलझते रहने में कुछ भी नहीं थकन के सिवा

बहुत हक़ीर हैं हम तुम बड़ी है ये दुनिया

महबूब ख़िज़ां

कोई रस्ता कहीं जाए तो जानें

बदलने के लिए रस्ते बहुत हैं

महबूब ख़िज़ां

घबरा सितम से करम से अदा से

हर मोड़ यहाँ राह दिखाने के लिए है

महबूब ख़िज़ां

ज़ख़्म बिगड़े तो बदन काट के फेंक

वर्ना काँटा भी मोहब्बत से निकाल

महबूब ख़िज़ां

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