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मंज़र लखनवी के 10 बेहतरीन शेर

घर को छोड़ा है ख़ुदा जाने कहाँ जाने को

अब समझ लीजिए टूटा हुआ तारा मुझ को

मंज़र लखनवी

मुझे मिटा के वो यूँ बैठे मुस्कुराते हैं

किसी से जैसे कोई नेक काम हो जाए

मंज़र लखनवी

बे-ख़ुद ऐसा किया खौफ़-ए-शब-ए-तन्हाई ने

सुबह से शम्अ जला दी तिरे सौदाई ने

मंज़र लखनवी

दुनिया को दीन दीन को दुनिया करेंगे हम

तेरे बनेंगे हम तुझे अपना करेंगे हम

मंज़र लखनवी

मोहब्बत तो हम ने भी की और बहुत की

मगर हुस्न को इश्क़ करना आया

मंज़र लखनवी

आप की याद में रोऊँ भी मैं रातों को

हूँ तो मजबूर मगर इतना भी मजबूर नहीं

मंज़र लखनवी

हुई दीवानगी इस दर्जा मशहूर-ए-जहाँ मेरी

जहाँ दो आदमी भी हैं छिड़ी है दास्ताँ मेरी

मंज़र लखनवी

तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में हो

लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में हो

मंज़र लखनवी

मुद्दतों बा'द कभी नज़र आने वाले

ईद का चाँद देखा तिरी सूरत देखी

मंज़र लखनवी

ग़ुस्सा क़ातिल का बढ़ता है कम होता है

एक सर है कि वो हर रोज़ क़लम होता है

मंज़र लखनवी

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