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तअशशुक़ लखनवी के 10 बेहतरीन शेर

मर्सिये के सबसे बड़े शाइ’र मीर ‘अनीस’ के पोते थे जिन्होंने मर्सिये और ग़ज़ल दोनों विधाओं में अपनी एक ख़ास पहचान बनाई। उनकी शाइ’री में ज़बान की सफ़ाई और चुस्ती दूर ही से नज़र आती है।

हम किस को दिखाते शब-ए-फ़ुर्क़त की उदासी

सब ख़्वाब में थे रात को बेदार हमीं थे

तअशशुक़ लखनवी

वो खड़े कहते हैं मेरी लाश पर

हम तो सुनते थे कि नींद आती नहीं

तअशशुक़ लखनवी

जिस तरफ़ बैठते थे वस्ल में आप

उसी पहलू में दर्द रहता है

तअशशुक़ लखनवी

कभी तो शहीदों की क़ब्रों पे आओ

ये सब घर तुम्हारे बसाए हुए हैं

तअशशुक़ लखनवी

बहुत मुज़िर दिल-ए-आशिक़ को आह होती है

इसी हवा से ये कश्ती तबाह होती है

तअशशुक़ लखनवी

आमद आमद है ख़िज़ाँ की जाने वाली है बहार

रोते हैं गुलज़ार के दर बाग़बाँ खोले हुए

तअशशुक़ लखनवी

हर तरफ़ हश्र में झंकार है ज़ंजीरों की

उन की ज़ुल्फ़ों के गिरफ़्तार चले आते हैं

तअशशुक़ लखनवी

मुंतज़िर तेरे हैं चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ खोले हुए

बैठे हैं दिल बेचने वाले दुकाँ खोले हुए

तअशशुक़ लखनवी

बार-ए-ख़ातिर ही अगर है तो इनायत कीजे

आप को हुस्न मुबारक हो मिरा दिल मुझ को

तअशशुक़ लखनवी

साफ़ देखा है कि ग़ुंचों ने लहू थूका है

मौसम-ए-गुल में इलाही कोई दिल-गीर हो

तअशशुक़ लखनवी

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