नोमान बद्र
ग़ज़ल 13
नज़्म 3
अशआर 10
ग़ोल के ग़ोल मिरे सहन में आ बैठते हैं
ये परिंदे मुझे हिजरत नहीं करने देते
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere